22 फरवरी को रविदास जयंती समारोह वाराणसी मे होगा।रविदास जयंती के बहाने पंजाब विधानसभा चुनाव साधने की तैयारी कर रही है मोदी और केजरीवाल।दोनों की नजर पंजाब से आए लाखों रैदासी वोटों पर है। संत रविदास की जन्मस्थली पर मोदी ‘रविदासियों’ को लुभाएंगे तो वहीं केजरीवाल भी दलित वोटों में अपनी पैंठ बनाने में पीछे नहीं रहेंगे।
22 फरवरी को रविदास जयंती समारोह में शिरकत करने आ रहे पीएम मोदी और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल न केवल आमने-सामने होंगे बल्कि एक ही मंच से होंगे।
मोदी व केजरीवाल के रविदास ‘प्रेम’ के बाद बसपा खासी सतर्क हो गई है। परम्परागत वोटों को सहेजे रखने के लिए बसपा कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती। यही कारण है कि बसपा ने अबकी बार गंगापार रविदास जयंती मनाने का फैसला किया है। चर्चा है कि बसपा की ओर से आयोजित रविदास जयंती कार्यक्रम में मायावती भी शामिल हो सकती हैं।
महापुरुषों के नाम पर शुरू हुई सियासत ने रैदासियों को सूबों मे बांट दिया है। रविदास जयंती पर फिलहाल ऐसा ही कुछ नजर आने वाला है। यूपी से नाता रखने वाले रैदासी समाज के लोग बसपा खेमे में दिखेंगे तो पंजाब व बाकी हिस्सों से आने वाले सीरगोवर्धन में आयोजित पीएम की सभा में शिरकत करेंगे। कार्यक्रम रविदास जयंती का ही होगा, मगर दोनों ‘दलों’ के बीच ‘दिलों’ की दूरी करीब सात किमी होगी। दोनों दलों के ‘रविदास राग’ लगभग एक होंगे। गंगापार रामनगर में बसपा रैदासियों के बीच अपने पुराने संबंधों का ‘सुर’ मिलाएगी तो उन्हें गंगा के इस पार सीरगोबर्धन स्थित बेगमपुरा में पीएम मोदी रैदासियों को सच्चा हितैषी साबित करने में पीछे नहीं रहेंगे। तय है आने वाले दिनों में दलित राज’ की सियासत गर्म होगी और संत रविदास के नाम पर बेगमपुरा राजनीति का नया कुरुक्षेत्र बनेगा।
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