लखनऊ, राजधानी में बिना फिटनेस के सैकड़ों स्कूल वाहन अब भी दौड़ रहे हैं। वहीं, अनफिट स्कूली वाहनों की धरपकड़ में आरटीओ के चेकिंग दस्ते परिवहन कमिश्नर के आदेश को हवा में उड़ा रहे हैं। परिवहन सूत्रों ने बताया कि एटा स्कूल बस हादसे के बाद राजधानी में अनफिट स्कूली वाहनों की चेकिंग हुई है। जिसके बाद बिना फिटनेस दौड़ रहे सैकड़ों स्कूली वाहनों को बंद किया गया। इन वाहनों को पकड़कर बंद करने में हजारों रुपये का ईंधन खर्च हुआ। आज वहीं गाड़ियां चंद रुपये जुर्माना देकर फिर सड़कों पर फिर दौड़ रही हैं।
उल्लेखनीय है कि बीते 22 जनवरी को परिवहन आयुक्त के. रविंद्र नायक कैंट क्षेत्र से गोमतीनगर आ रहे थे। इस दौरान एक स्कूल बस जिसका शीशा टूटा था और उसमें स्कूली बच्चे बैठे थे। इस बस की फोटो खींचकर बिना फिटनेस में बंद करने के आदेश आरटीओ को दिए गए। बस नम्बर यूपी 32 सीजेड 5117 को दो दिन बाद 24 जनवरी को पकड़कर बंद कर दिया। बस के कागजात नहीं थे। पीछे का शीशा टूटा था। बस का नम्बर साफ नहीं लिखा था। बस का कलर पीले की जगह सफेद था। इन सब आरोप के बावजूद उचित कार्यवाही नहीं करके एआरटीओ चेकिंग दल चालान रसीद एक सप्ताह में कोर्ट भेज दिया। जहां पांच सौ रुपए जुर्माना जमा करके बस छूट गई। विभागीय नियमों के अनुसार, किसी भी वाहन को जब तक फिटनेस प्रमाण पत्र न हो ऐसे वाहन सड़क पर संचालित नहीं हो सकते। आरटीओ प्रवर्तन विदिशा सिंह ने बताया कि ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के आदेश पर विशेष तौर पर अनफिट स्कूल बस को दो दिन में पकड़ा गया था। किसी भी हालत में इस स्कूल बस को छोड़ना नहीं चाहिए था, लेकिन जानकारी मिली है कि एआरटीओ प्रवर्तन अपने विशेषाधिकार का प्रयोग किए हल्के आरोप में चालान कोर्ट को भेज दिया। इस मामले में एआरटीओ प्रवर्तन आलोक कुमार से जवाब तलब किया गया है।