लखनऊ, यूपी की राजधानी लखनऊ में छोटे दलों के प्रत्याशियों ने भाजपा, बसपा और कांग्रेस-सपा गठबंधन की नींद उड़ा दी है। प्रत्याशियों के समर्थकों ने अपने विधानसभा क्षेत्र के गली-मोहल्ला, गांव-गांव में विरोधी दलों को कड़ी चुनौती दी है। राजनीतिक क्षेत्र में चुनाव के दौरान भाजपा, बसपा, सपा गठबंधन पार्टियों के जोरदार प्रत्याशियों के मतदाताओं को काटने के लिये और खुद के सम्मान की लड़ाई लड़ने के लिये हर बार ही छोटे पार्टियों के प्रत्याशी खड़े होते है। इस बार भी शहर व ग्रामीण क्षेत्र में जनता से उनके पक्ष में मतदान करने के लिये वे उतर आये है।
शहर की कैण्ट, पश्चिम और उत्तर सीटें इससे सबसे ज्यादा प्रभावित है। शहर उत्तर से ताल ठोक रहे राष्ट्रव्यापी जनता पार्टी के अध्यक्ष मनोज श्रीवास्तव का पर्चा खारिज होने के बाद उनकी पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्यों से लेकर वार्ड अध्यक्ष तक सरोजनीनगर के प्रत्याशी सुशील सिंह के लिये प्रचार करने उतर आये है। इससे भाजपा के प्रत्याशी स्वाति सिंह और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अनुराग यादव को कड़ी चुनौती मिल रही है। वहीं सरोजनी नगर विधानसभा से विधायक रहे शारदा प्रताप शुक्ला राष्ट्रीय लोकदल के टिकट से मैदान में है। वहीं शारदा प्रताप के साथ समाजवादी पार्टी से बागी हुई चन्द्रा रावत ने मोहनलालगंज सीट पर पर्चा वापस लेते हुये मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पक्ष में प्रचार करने की बात स्वीकार की है।
समाजवादी पार्टी के लिये सम्मान की सीट लखनऊ पश्चिम विधानसभा पर विधायक मो.रेहान को टिकट देने के बाद सपा कार्यकर्ताओं के भारी विरोध का सामना करना पड़ा, वहीं भाजपा से पूर्व प्रत्याशी सुरेश श्रीवास्तव को जैसे ही मैदान में उतारा गया भारतीय जनता पार्टी से टिकट की उम्मीद लगाये बैठे मनोज गुप्ता बागी हो गये और चुनाव मैदान में उतर आये। सपा व भाजपा की कांटे टक्कर वाली इस सीट पर एआईएमआईएम के प्रत्याशी तौहीद उर्फ नजमी ने पूरे दमखम के साथ नामांकन किया है और बाजारखाला, बुलाकी अड्डा, कुडिया, एवरएडी सहित पश्चिम विधानसभा के प्रमुख व्यापारिक क्षेत्रों में उसके समर्थकों ने प्रचार में जान लगा दी है।
मलिहाबाद सीट (सुरक्षित) पर सबसे अधिक छोटे दलों व राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशी मैदान में है। यहां कम्युनिस्ट पार्टी, लोकदल के प्रत्याशियों ने सरगरमी बढ़ायी हुई है और इससे भाजपा व सपा के प्रत्याशियों को कड़ी चुनौती मिलती दिखलायी पड़ रही है। वहीं बसपा को कौमी एकता दल के स्थानीय नेताओं का समर्थन तो कांग्रेस कमेटी का समर्थन सपा को मिलने से माहौल में गर्मी आ गयी है।