राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी ने ब्रह्मोस मिसाइलों की पहली खेप को दिखाई हरी झंडी

लखनऊ, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को लखनऊ स्थित ब्रह्मोस एयरोस्पेस इकाई में निर्मित मिसाइलों की पहली खेप को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

इस मौक़े पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारे विरोधी अब ब्रह्मोस से बच नहीं पाएंगे। पाकिस्तान की एक-एक इंच जमीन ब्रह्मोस की पहुंच में है। उन्होंने कहा , “ मैंने इस परिसर में रुद्राक्ष के पौधे का रोपण किया है।रुद्राक्ष को वैसे भी महादेव का रूप माना जाता है। मैं चाहता हूं कि इस परिसर पर महादेव का आशीर्वाद बना रहे। हमारे विरोधी अब ब्रह्मोस से बच नहीं पाएंगे। पाकिस्तान की एक-एक इंच जमीन ब्रह्मोस की पहुंच में है। ऑपरेशन सिंदूर तो केवल एक ट्रेलर था, उसने ही पाकिस्तान को यह अहसास दिला दिया कि अगर भारत, पाकिस्तान को जन्म दे सकता है तो समय आने पर क्या कर सकता है, यह मुझे बोलने की जरूरत नहीं है।”मुख्यमंत्री योगी ने कहा, “यह आत्मनिर्भर भारत की नींव है, अब तक हमने छह नोड्स में इसके लिए 2,500 एकड़ से ज़्यादा ज़मीन उपलब्ध कराई है। इसके ज़रिए राज्य के 15,000 से ज़्यादा युवाओं को रोज़गार मिला है। ब्रह्मोस के महानिदेशक और रक्षा मंत्री ने हाल ही में हमें 40 करोड़ रुपये का जीएसटी चेक प्रदान किया। मैंने डीआरडीओ से फिर कहा कि मुझे बताइए आपको कितनी ज़मीन चाहिए; हम आपको यहीं उपलब्ध करा देंगे।”

उन्होंने कहा, “ जब हर साल 100 ब्रह्मोस मिसाइलें बनाई जायेंगी और भविष्य में इनकी क्षमता बढ़कर 150 हो जाएगी, तो राज्य सरकार को इन मिसाइलों से प्राप्त जीएसटी के माध्यम से सालाना 150 से 200 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे।”एक आधिकारिक बयान के अनुसार, यह न केवल उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारे (यूपीडीआईसी) के लिए एक मील का पत्थर है, बल्कि रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता हासिल करने के भारत के संकल्प को भी नई ऊर्जा प्रदान करेगा। ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल प्रणाली के निर्माता, ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने लखनऊ के सरोजिनी नगर स्थित अपने नए एकीकरण और परीक्षण केंद्र से इस मिसाइल प्रणाली की पहली खेप का सफलतापूर्वक उत्पादन किया है। इस अत्याधुनिक इकाई का उद्घाटन पिछली 11 मई को हुआ था। यह इकाई मिसाइल एकीकरण, परीक्षण और अंतिम गुणवत्ता जाँच के लिए सभी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। सफल परीक्षण के बाद, मिसाइलों को भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा तैनाती के लिए तैयार किया जाता है।

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