lecजींद, हरियाणा की जींद विधानसभा सीट के लिये 28 जनवरी को होने वाला उप चुनाव राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की साखए लोकप्रियताए जनाधार और प्रतिष्ठा की कसौटी बन गया है। यूं तो यह केवल एक विधानसभा सीट का उपचुनाव है लेकिन आगामी लोकसभा चुनावों और इस वर्ष के अंत तक होने वाले विधानसभा चुनावों के दृष्टिगत इसे राज्य में भावी राजनीतिक की दिशा और दशा के रूप में भी देखा जा रहा है।
भारतीय जनता पार्टीऔर कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय दलों तथा इंडियन नेशनल लोकदल ;इनेलोद्ध और इससे टूट कर अस्तित्व में आई जननायक जनता पार्टी के अलावा भाजपा सांसद राजकुमार सैनी की नवगठित लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी जैसे क्षेत्रीय दलों ने भी इस चुनाव को प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है और येन केन प्राकेण इसे जीतने के लिये जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। यइ सीट इनेलो विधायक डा0 हरिचंद मिढ्ढा के निधन से रिक्त हुई है। भाजपा ने उनके बेटे कृष्ण मिढडा को चुनाव में उतार कर सहानुभूति वोटों के सहारे इस सीट को अपनी झोली में डालने की जुगत लगाई है। वैसे इस जाट बहुल हलके में भाजपा अभी तक कभी भी खाता नहीं खोल पाई है लेकिन राज्य में अपनी सरकार के गत चार वर्षों के दौरान किये गये काम के आधार इस सीट को जीतने के दावे कर रही है।
वहीं कांग्रेस ने कैथल से विधायक और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला को चुनाव में उतार कर न केवल इस मुकाबले को रोचक बना दिया है बल्कि यह भी जताने का प्रयास किया है कि यह सीट जीतना उसके लिये कितना महत्वपूर्ण है। भाजपा और कांग्रेस के लिये इस चुनाव में ष्करो या मरोष् की स्थिति बन गई है तथा इनके राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के अनेक नेता यहां डेरा डाले हुये हैं। इनेलो ने बहुजन समाज पार्टी;बसपाद्ध के साथ गठबंधन में स्थानीय प्रत्याशी उमेद सिंह रेढू पर अपना दांव खेला है। श्री रेढू ने पहले निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में इस सीट से अपना नामांकन दाखिल किया था लेकिन बाद उन्हें इस गठबंधन अपना कर अपना अधिकृत उम्मीदवार बना लिया।
इनेलो के लिये यह चुनाव बहुत अहम है क्योंकि सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता का पद उसी के पास है। लेकिन डा0 मिढडा और हाल ही में पेहवा से एक अन्य विधायक जसविंदर सिंह संधू के निधन के बाद सदन में इनेलो के सदस्यों की संख्या 17 रह गई है जो कांग्रेस के बराबर है। ऐसे में इनेलो पर उससे विपक्ष के नेता का पद छिनने का संकट आ गया है तथा जींद उपचुनाव में जीत ही उसे इस संकट से निकाल सकती है। जजपा ने अपने युवा नेता दिग्विजय चौटाला को मैदान में उतारा है।
आम आदमी पार्टी ने दिग्विजय को समर्थन का ऐलान कर इस चुनावी मुकाबले को चतुष्कोणीय बना दिया है। जजपा के लिये यह सीट जीतना उसे राज्य की राजनीति में स्वयं को स्थापित करने की परीक्षा जैसा है। अन्य कई छोटे दल और निर्दलीय उम्मीदवार भी इस उपचुनाव में अपनी राजनीतिक किस्मत आजमा रहे हैं। मतदान में अब केवल चार दिन ही शेष बचे हैं तथा यहां उम्मीदवारों का चुनाव प्रचार पूरे चरम पर पहुंच चुका है। इस उप चुनाव में 21 उम्मीदवार मैदान में हैं। जींद विधानसभा क्षेत्र में करीब 1.70 लाख मतदाता हैं जिनमें लगभग एक तिहाई जाट मतदाता बताए जाते हैं। कुल मतदाताओं में शहर यों की संख्या लगभग 1.04 लाख है।