नई दिल्ली, भारत के निर्वाचन आयोग में राजनीतिक दलों द्वारा बनाये गए पार्टी संविधान का पालन सुनिश्चित करने की कोई व्यवस्था नहीं है। आयोग ने राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र सुनिश्चित करने के लिए कोई नियमावली नहीं बनाई है। सूचना का अधिकार के तहत भारत निर्वाचन आयोग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, ऐसी कोई प्रक्रिया एवं नियमावली आयोग में उपलब्ध नहीं है।
आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारतीय निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र सुनिश्चित करने के लिए कोई नियमावली नहीं जारी की है। फिर भी आयोग मान्यता प्राप्त दलों से उनके पदाधिकारियों की अद्यतन सूचना मंगवाता है। दिल्ली स्थित आरटीआई कार्यकर्ता गोपाल प्रसाद ने चुनाव आयोग से पूछा था कि क्या आयोग ने राजनीतिक दलों द्वारा पार्टी संविधान और आंतरिक लोकतंत्र का पालन किये जाने संबंधी कोई नियमावली तैयार की है।
जाने माने चितंक के एन गोविंदाचार्य ने कहा कि देश इन दिनों ऐसे राजनीतिक दौर से गुजर रहा है जहां संसदीय राजनीति एक मायने में बेमानी सी हो गई है। सत्ता पक्ष और विपक्ष का चिंतन स्तर एक जैसा है। दोनों पक्ष अपने निहित स्वार्थों से उपर नहीं उठ पा रहे हैं। सार्वजनिक जीवन में शुचिता नहीं रह गई है। राजनीतिक दलों और राजनेताओं की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। वे अपना हित सर्वोपरि समझ बैठे हैं। ऐसी स्थिति से आम जनता का मोह भंग हो रहा है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल और राजनेता विश्वसनीयता के संकट से जूझा रहे हैं। आज की जमीनी सच्चाई यही है।