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राजनीतिक दलों से घोषणा पत्र में आदिवासियों के मुद्दों को शामिल करने की मांग

जयपुर, राजस्थान में लंबे समय से विकास की मुख्यधारा से जुड़ने की बांट जोह रहे आदिवासी समुदाय ने विधानसभा चुनाव से पहले अपना घोषणा पत्र जारी कर विकास में बराबर का भागीदार बनाने की मांग की है।

आदिवासी क्षेत्रों में कल्याण कार्य कर रहे जनजातीय स्वराज मंच ने गैर सरकारी संगठन वागधारा के सहयोग से यहां आयोजित संवाददाता सम्मेलन में राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए अपना घोषणा पत्र जारी किया। मंच के अध्यक्ष मानसिंह ने कहा कि बांसवाडा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ और उदयपुर और सिरोही के 563 गांवों में ग्राम सभाओं, स्वयंसेवकों, महिला समितियों, जनप्रतिनिधियों और लोगों को विश्वास में लेकर यह घोषणापत्र तैयार किया गया है।

उन्होंने कहा कि संगठन इस घोषणापत्र को लेकर सत्ता में आने की जद्दोजहद कर रहे प्रमुख राजनीतिक दलों के पास जायेगा और इसमें शामिल मांगों को उनके चुनाव घोषणा पत्र में शामिल करने का दबाव बनायेगा। उन्होंने कहा कि यदि उनके मांग पत्र को पार्टियों के घोषणा पत्र में जगह मिल जाती है तो वह भविष्य में आने वाली सरकार की विकास योजनाओं का हिस्सा बन जायेगा। श्री सिंह ने कहा कि अक्सर राजनीतिक दल आदिवासी समुदाय को समाज के हासिये पर मानकर घोषणा पत्र में उनके लिए केवल रोटीए कपड़ा और अनाज की बात करते हैं लेकिन समुदाय को अब अपना हक और विकास में बराबर की भागीदारी चाहिए।

उन्होंने कहा कि इसके साथ शर्त यह भी है कि उनकी परंपराओं और उनके वन्य अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए। राज्य में लगभग 14 प्रतिशत आदिवासी आबादी है जिनका कई जिलों की बड़ी संख्या में सीटों पर एकाधिकार है। घोषणा पत्र में प्रमुख रूप से पांच मांगे की गयी हैं जिनमें टिकाऊ और समावेशी विकासए स्वास्थ्य सेवाएंए बाल अधिकारए खेती को अन्य आजीविकाओं पर प्राथमिकता देने और कुपोषण तथा भूख को समाप्त करना है।

समुदाय की यह मांग है कि राज्य में उसके कल्याण की नीतियों से संबंघित कार्यक्रमों की नियमित समीक्षा का तंत्र बनेए योजनाओं पर अमल में इस बात का ध्यान रखा जाये कि आदिवासी संस्कति और परंपराओं पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े। संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के लक्ष्यों को अपनाया जाये। ग्राम चौपाल व्यवस्था को पुनजीर्वित करना भी जरूरी है। आदिवासी समाज के विकास ए सामाजिक न्याय और स्व शासन के लिए राज्य में पीईएसए यानी पैसा अधिनियम को लागू किया जाये। वन अघिकार मान्यता कानून के तहत वन अधिकार अदालत के तहत त्वरित कार्यवाही की व्यवस्था की जाये।