अहमदाबाद, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने आज कहा कि गुजरात में पटेल कोटा आंदोलन के संयोजकों का रूझान ? ‘‘एक सियासी दल’’ की ओर है, हालांकि उन्होंने स्पष्ट तौर पर विपक्षी दल कांग्रेस का नाम नहीं लिया। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के अंत में होने वाले राज्य विधानसभा के चुनाव के नजदीक आने के साथ ही आरक्षण को लेकर आंदोलन राजनीतिक रंग लेता जा रहा है।
भाजपा अध्यक्ष ने यहां रेजॉल्यूट गुजरात या ‘अधीखम गुजरात’ नाम के कार्यक्रम में युवाओं के सवालों के जवाब दिए। एक प्रतिभागी ने पूछा कि भाजपा सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी के तहत आरक्षण की मांग को लेकर हुए पाटीदार आंदोलन से किस तरह निबट रही है, इस पर शाह ने कहा कि भाजपा सरकार ने हार्दिक पटेल के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों से कहा है कि वे ‘‘कानूनी प्रक्रिया’’ का पालन करें लेकिन ‘‘आंदोलन की दिशा बदल चुकी है।
उन्होंने कहा, ‘‘ बदलावों को देखने पर आप पाएंगे कि धीरे-धीरे यह एक ऐसा आंदोलन बन गया है जिसे एक राजनीतिक दल का समर्थन हासिल है। लोग इस आंदोलन से भावनात्मक तौर पर जुड़े थे लेकिन आयोजकों का रूझान एक राजनीतिक दल की ओर हो रहा है।’’ शाह ने कहा कि उनकी पार्टी की सरकार ने गुजरात में आंदोलनकारियों से कहा है कि अपने लक्ष्य को पाने के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन करें।
उन्होंने कहा, ‘‘पाटीदार आंदोलन की प्रमुख मांग के अुनसार अगर किसी जाति को ओबीसी श्रेणी में शामिल किया जाना है तो उस जाति की ओर से ओबीसी आयोग में एक आवेदन देना चाहिए।’’ अनुशंसा के बाद ही किसी जाति को उस श्रेणी में जगह मिल सकती है।
शाह ने कहा, ‘‘ लेकिन दुर्भाग्य से आंदोलन की दिशा बदल गई चुनाव करीब आ रहे हैं, ऐसे में आप देखेंगे कि धीरे-धीरे यह मुद्दा राजनीतिक रंग लेता जाएगा। ’’ उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा कि एससी, एसटी उम्मीदवारों के लिए आरक्षण बाध्यकारी है और कोई भी राज्य सरकार इसमें बदलाव नहीं कर सकती है लेकिन यदि किसी जाति को ओबीसी श्रेणी के तहत स्थान चाहिए तो उसे एक प्रक्रिया से होकर गुजरता पड़ता है और ओबीसी आयोग में इस बाबत एक आवेदन जमा करना होता है। हाल ही में हार्दिक पटेल ने संकेत दिए थे कि आगामी विस चुनाव में वह कांग्रेस का समर्थन कर सकते हैं। पटेल आरक्षण आंदोलन वर्ष 2015 से चल रहा है।