राजनैतिक दलों को, आरटीआई के दायरे में, लाने का मामला टला

नई दिल्ली,  मुख्य सूचना आयुक्त आरके माथुर ने सियासी दलों द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम का पालन नहीं करने का मामला फिलहाल के लिए टालने का निर्देश दिया है। निर्देश के चलते यह विवादित मामला फिलहाल ठंडे बस्ते में चला गया है।

मामले की सुनवाई कर रही पीठ के सदस्यों में से एक विमल जुल्का ने 23 दिसंबर 2016 को खुद को मामले से अलग कर लिया था जिसके बाद इस बाबत यह नोट जारी किया गया। माथुर ने 29 दिसंबर 2016 को कहा था कि जब तक पीठ का पुनर्गठन नहीं हो जाता या आईसी के नोट पर कोई फैसला नहीं आ जाता तब तक सुनवाई अस्थायी तौर पर रूकी रह सकती है। इस बात को तीन महीने बीत चुके हैं लेकिन अभी तक पीठ में जुल्का की जगह किसी और को लाए जाने संबंधी कोई चर्चा नहीं है ऐसे में यह मामला लटका हुआ है। फाइल के ब्यौरे का खुलासा आरटीआई कार्यकर्ता आरके जैन की अर्जी पर केंद्रीय सूचना आयोग ने आरटीआई के तहत किया है। जैन ने सियासी दलों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी।

मामले को टालने का माथुर का यह निर्देश दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश का विरोधाभासी है जिसमें अदालत ने आयोग को जैन की शिकायत पर छह माह के भीतर फैसला लेने का निर्देश दिया था। जैन ने आरोप लगाया था कि सियासी दल आरटीआई आवेदनों पर कोई जवाब नहीं दे रहे हैं और आरटीआई अधिनियम के तहत अनिवार्य किए जाने के बावजूद उन्होंने कोई व्यवस्था भी नहीं की है। आयोग की पूर्ण पीठ तीन जून, 2013 को छह राष्ट्रीय दलों-भाजपा, कांग्रेस, राकांपा, माकपा, भाकपा, बसपा को आरटीआई अधिनियम के दायरे में ले आई थी।

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