नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय देशभर के राज्य एवं राष्ट्रीय राजमार्गों के 500 मीटर के दायरे में शराब की दुकानों को प्रतिबंधित करने वाले दिसम्बर 2016 के आदेश में बदलाव की मांग वाली याचिकाओं पर कल सुनवाई करेगा।
प्रधान न्यायाधीश जे एस खेहर और न्यायमूर्ति एस के कौल की पीठ ने आज अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के नेतृत्व में आए वकीलों से कहा कि पीठ इन मुद्दों की कल सुनवाई सुनिश्चित करेगी। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, यदि न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ कल उपलब्ध नहीं होते हैं तो मै एक अलग पीठ गठित करूंगा। रोहतगी ने न्यायालय को बताया कि राजमार्गों के पास शराब की दुकानों को बंद करने का उच्चतम न्यायालय का आदेश एक अप्रैल से लागू होगा और इससे एक ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिसमें तत्काल सुनवाई जरूरी है। आज केरल, पंजाब और तेलंगाना जैसे राज्यों ने आदेश में बदलाव की मांग करते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
गत 23 मार्च को तमिलनाडु सरकार ने भी न्यायालय से राजमार्ग के पास स्थित खुदरा शराब की दुकानों को किसी दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए उनके लाइसेंस की अवधि खत्म होने तक समय बढ़ाने की मांग की थी जो कि 28 नवम्बर, 2017 है। बीती 18 जनवरी को ऑल असम इंडियन मेड फॉरेन लिकर्स एसोसिएशन ने न्यायालय से इस फैसले में बदलाव का अनुरोध किया था। एसोसिएशन ने कहा था कि इस आदेश ने राज्य में शराब की दुकानों को वस्तुतः प्रतिबंधित कर दिया है क्योंकि स्थानीय आधार पर राज्य राजमार्ग की परिभाषा सभी सड़कों पर लागू होती है। उच्चतम न्यायालय ने 15 दिसम्बर 2016 के अपने आदेश में देशभर के राज्य एवं राष्ट्रीय राजमार्गों के पास स्थित सभी शराब की दुकानों को प्रतिबंधित करने का निर्देश दिया था। न्यायालय ने यह स्पष्ट किया था कि मौजूदा दुकानों के लाइसेंसों का 31 मार्च, 2017 के बाद नवीकरण नहीं किया जाएगा। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया था कि शराब की दुकानों की मौजूदगी का संकेत देने वाले सभी संकेतकों को राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर लगाना प्रतिबंधित होगा।