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राणा सांगा पर टिप्पणी पर सत्ता पक्ष का हंगामा, राज्य सभा की कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित

नयी दिल्ली, राज्यसभा में शुक्रवार को कार्यवाही शुरू होते ही सत्तापक्ष के सदस्यों ने राणा सांगा को लेकर समाजवादी पार्टी सदस्य रामजी लाल सुमन की टिप्पणी को लेकर हंगामा शुरू हो गया, जिसके कारण अंतत: सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी गयी।

कार्यवाही शुरू हाेते ही सत्ता पक्ष के सदस्यों ने नारे बाजी शुरू कर दी। इस पर सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा “जो भी कहा गया हमने बयान को कार्यवाही से निकाल दिया लेकिन सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक के इस दौर में यह काम सिर्फ हमारे रिकॉर्ड तक ही सिमटकर रह गया है। वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। सदस्यों को संवेदनशील मुद्दे पर बोलते समय अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरूरत है। किसी भी जाति, समाज के महान सपूतों का अनादर नहीं करना चाहिए। हर जाति-वर्ग में आदर्श हैं। राणा सांगा , शिवाजी महराज, आदिवासी समाज में बिरसा मुंडा हैं।

उन्होंने कहा कि यदि हम इस सदन के सदस्य के रूप में, स्थिति की गंभीरता या विशालता की परवाह किए बिना, जिस तरह से व्यक्त कर रहे हैं, तो हम समाज में शांति के विकास में योगदान नहीं दे रहे हैं और हमें आत्मनिरीक्षण करना होगा और इस बात पर विचार करना होगा कि इस सदन में, ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर, यदि हम शांति, सौहार्द का संदेश नहीं देते हैं, तो हम अपने कर्तव्य में विफल होंगे।

सभापति ने कहा कि हर परिस्थिति में हमारा आचरण मर्यादित होना चाहिए, संजीदगी का होना चाहिए और मनुष्य के जीवन में कई बार भाव या भावना में बह जाते हैं। हमेशा ऐसा अवसर आता है जब हम भावनाओं में बह जाते हैं, हमें सुधार करना चाहिए। उन्होंने कहा “लेकिन मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं, लोगों की भावनाएं बहुत कीमती हैं। उसी प्रकार, सदन के सदस्य की गरिमा, उसकी सुरक्षा, उसकी प्रतिष्ठा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। मैं सदन के सभी वर्गों से अपील करूंगा कि सदन में जो कुछ हुआ, उसको एक साधारण कारण से हटाया गया। यह अपमानजनक था, यह एक सदस्य के लिए अप्रत्याशित था लेकिन तकनीक के कारण हमारी समस्या यह है कि हम जो कुछ भी हटाते हैं वह केवल हमारे रिकॉर्ड में ही हटाया जाता है। सोशल मीडिया इसे बढ़ावा देता है।”

उन्होंने कहा “ मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से, मैं आपको बता दूं, मैं सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ का छात्र था। जिस किले को मैं हर दिन देखता था और राणा सांगा ऐसे आदरणीय व्यक्ति थे, उन्होंने अपना एक हाथ खो दिया, उन्होंने अपना एक पैर खो दिया, उन्होंने अपना आधा शरीर बहादुरी से लड़ते हुए खो दिया। वीरता का प्रतीक, देशभक्ति का प्रतीक, राष्ट्रवाद का प्रतीक और अपने शरीर की आखिरी बूंद तक उन्होंने लड़ाई लड़ी। मैंने इसे एक बच्चे के रूप में देखा, छह साल तक किला मेरे घर के सामने था, थोड़ी दूरी पर लेकिन दिखाई देता था।”

सभापति ने कहा कि हमारे पास हर जगह नायक हैं। हमारे पास शिवाजी हैं, हमारे पास राणा सांगा हैं, हमारे पास महाराणा प्रताप हैं, उनमें से कई और हर समुदाय में हैं। हमारे पास बिरसा मुंडा हैं। इसलिए यह सदन सर्वसम्मति से इस बात का समर्थन करे कि सदन के सदस्य के रूप में हम संवेदनशील मुद्दों पर सर्वोच्च सत्यनिष्ठा बनाए रखेंगे।

उन्होंने कहा कि कल ही मैंने बहुत ही विस्फोटक स्थिति का संकेत दिया था कि एक समय था जब सदन में कोई भी सदस्य जो कुछ भी बोलता था, उसे मिटा दिया जाता था। क्योंकि हमारे पास इलेक्ट्रॉनिक मैसेजिंग की गति नहीं थी, लेकिन अब यह हमारे बस की बात नहीं है। कार्यवाही होती है और ऐसी स्थिति में सदन में हटाने का कोई व्यावहारिक अर्थ नहीं है। इसका अर्थ केवल रिकॉर्ड के संग्रह के लिए है।
सभापति ने कहा कि श्री घनश्याम तिवाडी की अध्यक्षता वाली आचार समिति हमारी आचार संहिता को विकसित करने के लिए व्यापक विचार-विमर्श करेगी ताकि सदस्य जब संवेदनशील मुद्दों पर बोलें तो वे अत्यंत सावधान रहें, वे वास्तव में संवेदनशील हैं।

इसके बाद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष से इस पर अपना स्टैंड साफ करने की अपील की और कहा “ मैं नहीं मानता कि ये विचार अकेले रामजी लाल सुमन के हैं। इंडी गठबंधन का है हमेशा से यह आदत है वीरों के अपमान करने की। इसलिए कांग्रेस को इंडी गठबंधन की ओर से सदन में माफी मांगनी चाहिए।

इस पर विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि हम इस बात से सहमत हैं कि किसी का अपमान करने वाली टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए। लेकिन कानून अपने हाथ में लेकर इन्होंने जो किया है, घर पर जाकर तोड़फोड़ करते हैं। दलितों के खिलाफ अत्याचार हम कभी सहन नहीं करेंगे। संविधान ने किसी को तोड़फोड़ का अधिकार नहीं दिया है।

कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने कहा कि राणा सांगा इस देश के हीरो थे। सभापति कहते हैं कि जो बात कार्यवाही से हटा दी गई है, उसे दोहराया नहीं जाता है। आज क्या हो रहा है। यही तो दोहराया जा रहा है। हम मानते हैं कि किसी भी जाति-वर्ग के महापुरुष का अपमान नहीं किया जाना चाहिए लेकिन इसकी आड़ में आप किसी दलित के घर में तोड़-फोड़ करोगे, दलित का घर जलाओगे।

इसके बाद भारतीय जनता पार्टी के सांसद राधामोहन दास अग्रवाल ने कहा कि रामजी लाल सुमन ने उसी दिन ये कह दिया होता कि गलती से बोल दिया तो ये मुद्दा खत्म हो गया होता, लेकिन उन्होंने कहा कि मर भी जाएं तो अपनी बात वापस नहीं लेंगे। आज श्री खड़गे ने दलित समाज से जोड़कर राजनीतिकरण कर राणा सांगा को और पतित करने का काम किया है। अब जब तक रामजी लाल सुमन और कांग्रेस पार्टी, दोनों एक साथ खड़े होकर माफी नहीं मांगेंगे, तब तक हम समझौता नहीं करने जा रहे।

इस पर सभापति ने कहा “मुझे यकीन है कि दोनों स्थितियों में अलग-अलग गुण हैं। एक, सदन में जो बोला गया, मैं उसे दोहराना नहीं चाहता। लेकिन सदन में कोई भी उसका समर्थन नहीं करेगा। ऐसे शब्द चुने गए जो टाले जा सकते थे। आक्षेप लगाए गए, जो नहीं होने चाहिए थे। भारत के महानतम सेनानियों और सपूतों में से एक के बारे में चिंतन करने के लिए ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को बिल्कुल भुला दिया गया। इसलिए मैं सभी से आग्रह करूंगा कि सदस्य ने टिप्पणियां करने के बाद हटाने को स्वीकार कर लिया है। और इसलिए, इस सदन से, हम आह्वान करें कि जो लोग बाहर उत्तेजित हैं और उनकी संख्या मैं सदस्यों के साथ साझा कर सकता हूं, बहुत व्यापक है, एक राज्य तक सीमित नहीं है और इसलिए, हम माहौल को शांत करें। आइए हम इसे अपने मूल्यों के साथ थोड़ा और सामंजस्य में लाएं। और इसी प्रकार, जैसा कि खरगे जी ने कहा, हमें संबंधित व्यक्ति की सुरक्षा का भी ध्यान रखना होगा।”

इसपर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि जो रामजीलाल सुमन ने कहा, वह घोर निंदनीय। देश के वीरों का अपमान किया है। बयान अमर्यादित है। देश नहीं, पूरी दुनिया देख रही है। लोगों की आस्था पर फिर चोट पहुंचाना। एक वो पहलू है जिस पर न तो विपक्ष के नेता, न रामजीलाल सुमन कुछ कह रहे हैं। श्री गोयल ने इस बयान की कठोर निंदा कर देश-दुनिया को एक संदेश देने की अपील की।
इसके बाद सभापति ने सपा सांसद को अपनी बात रखने के लिए कहा लेकिन सत्ता पक्ष के सदस्य अपनी सीटों से खड़े होकर हंगामा करने लगे जिसके कारण अपनी सीट पर खड़े हुए श्री समुन बोल नहीं पाए। जोरदार हंगामे के कारण सभापति ने सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी।