राफेल के साथ भारत को मिलेगी मेटेओर मिसाइल, पाक-चीन में मची खलबली

rafale22नई दिल्ली,  भारत और फ्रांस के बीच राफेल विमान की खरीद समझौते पर अब जल्द ही आधिकारिक मुहर लग जाएगी। इस सौदे के तहत भारत को फ्रांस हवा से हवा में मार करने वाली विश्व की आधुनिक मिसाइल मेटेओर भी देगा। सौदे के तहत मिलने वाले विमान इस मिसाइल प्रणाली से लैसे होंगे। यह मिसाइल दुश्मनों के एयरक्राफ्ट और 100 किमी दूर स्थिति क्रूज मिसाइल को ध्वस्त करने में सक्षम है। इस मिसाइल को अपने बेड़े में शामिल कर लेने से भारत की स्थिति दक्षिण एशिया में और मजबूत हो जाएगी। पाकिस्तान और यहां तक कि चीन के पास भी इस श्रेणी की मिसाइल नहीं है। अमेरिका के अलावा किसी के पास नहीं है मेटेओर: मेटेओर के समान मात्र एक अन्य मिसाइल एआईएम-120डी है जो कि हवा से हवा में मार करने वाली अमेरिका द्वारा निर्मित मध्यम श्रेणी की मिसाइल है जिसे 100 किमी से अधिक दूर के निशाने को भेदने के लिए बनाया गया है। हालांकि जानकारों का मानना है कि मेटेओर अपने रैमजेट इंजन के चलते अधिक घातक मिसाइल है। कैसे काम करती है मेटेओर: एक वेबसाइट वॉर इस बोरिंग के मुताबिक पारंपरिक ठोस-ईंधन बूस्टर लॉन्च के बाद हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के समान मेटेओर को एक्सेलरेट करता है लेकिन हवा में यह मिसाइल एक पैराशूट को खोलती है जिससे हवा इंजन में समा जाती है। इसकी बदौलत ऑक्सीजन गर्म हो जाती है और यह सुपरसोनिक मिसाइल ध्वनि से चार गुना तेजी से आगे बढ़ती है। मेटेओर मतलब नो एस्केप जोन: इस मिसाइल का निर्माण करने वाले यूरोपीय फर्म एमबीडीए के इंजीनियरों ने कथित तौर पर दावा किया है मेटेओर में नो एस्केप जोन है जो कि एआईएम-120डी एएमआरएएएम मिसाइल से तीन गुना बड़ा है। वॉर इस बोरिंग के अनुसार, नो एस्केप जोन हवाई-युद्ध से जुड़ा एक टर्म है जिसका इस्तेमाल मिसाइल की क्षमता द्वारा निर्धारित किए गए एक शंकुआकार क्षेत्र के लिए किया जाता है, जहां से लक्षित एयरक्रॉफ्ट निशाने से बच नहीं सकता। समझौते पर हस्ताक्षर के बाद होगा कीमत का खुलासा: 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद सौदे को लेकर होने वाले समझौते को अंतिम रूप दे दिया गया है। अब जल्द ही इस सौदे पर आधिकारिक मुहर भी लग जाएगी। यह सौदा करीब 7.8 अरब यूरो यानी 58 हजार 646 करोड़ रुपये का था। यानी भारत को एक राफेल लड़ाकू विमान एक हजार छह सौ 28 करोड़ रुपयों का पड़ता, लेकिन अब ये 1504 करोड़ रुपयों का पड़ेगा। वैसे सरकार ने आधिकारिक तौर पर राफेल लड़ाकू विमानों के दामों का खुलासा नही किया है। इसका खुलासा समझौते पर हस्ताक्षर के बाद ही होगा। इंटर-गवर्नमेंट कॉन्ट्रैक्ट के टर्म्स फाइनल होने के बाद इसे कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्युरिटी को भेजा जाएगा जो अंतिम फैसला करेगी। समझौते को दिया जा रहा अंतिम रूप: मीडिया में आई खबरों के मुताबिक लागत, ऑफसेट और सेवा ब्योरे को अंतिम रूप दिया जा चुका है और सौदे के लिए अंतर सरकारी समझौते (आईजीए) पर काम किया जा रहा है। फ्रांस से एक टीम पहले ही अपने अनुवादकों के साथ दिल्ली में डेरा डाले है और वो समझौते के हजार पन्नों के दस्तावेजों का अध्ययन कर रहे हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button