राम मन्दिर आंदोलन को धार देने का महत्वपूर्ण कार्य किया था साध्वी ऋतंभरा ने: राजनाथ सिंह

मथुरा, केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि राम मन्दिर आंदोलन को धार देने का महत्वपूर्ण कार्य साध्वी ऋतंभरा ने किया। उन्हे उनके गुरू युगपुरूष परमानन्द महाराज ने सामाजिक समरसता बनाने का जो काम अब सौंपा है उसमें भी वह खरी उतरेंगी।

वात्सल्य ग्राम वृन्दावन में साध्वी ऋतंभरा के जीवन के 60 वर्ष पूरे होने पर आयोजित षष्ठी पूर्ति महोत्सव में बोलते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि आज के व्यस्ततम जीवन में एक ऐसी पीठ का संचालन करना जो समाज के उत्थान के लिए कार्य करती हो यह अपने आप में बहुत बड़ी बात है। यह इसलिए महत्वपूर्ण है कि दीदी मां ने समाज को अपना परिवार ही नही मान लिया बल्कि उन्होंने पीठ के माध्यम से इस भाव को इस प्रकार उतारा है जो राष्ट्र के प्रति इनकी निष्ठा को दर्शाता है।

उन्होंने कहा कि देश के ऋषियों और महर्षियों ने भारत की सीमाओं पर रहनेवाले लोगों को न केवल अपना परिवार माना है बल्कि उन्होंने वसुधैव कुटुम्बकम की बात कह कर अपने और पराए के भेद को समाप्त किया। दुनिया के किसी देश ने ऐसा संदेश नही दिया।

रक्षा मंत्री ने कहा कि आज उत्तर प्रदेश का वातावरण बदला है उन्होने उपस्थित समुदाय की ओर इंगित करते हुए कहा कि इसे वे महसूस करते होंगे।यह बदलाव इसलिए आया है कि एक संत के हाथ में प्रदेश की बागडोर है। उन्होंने इस बदलाव के लिए योगी को साधुवाद देते हुए कहा कि योगी जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश की शासन व्यवस्था चला रहे हैं उससे जनता के मन में सुरक्षा के साथ समृद्धि और गौरव का भाव पैदा हुआ है। उनका कहना था कि इसके साथ ही संतों के मन में यह भाव आया है कि जब तक किसी संत के हाथ में शासन व्यवस्था रहेगी तब तक प्रदेश के चतुर्दिक विकास को कोई रोक नही सकता है। वैसे भी जिस धरती पर कान्हा निवास करते हों वहां का विकास कोई रोक ही नही सकता।

केन्द्रीय मंत्री ने भगवान श्रीकृष्ण का श्रद्धा से नाम लेते हुए कहा कि जिसके नाम में आकर्षण हो तथा जहां पर राधा भाव इतना प्रधान हो कि एक रिक्शा चालक भी मार्ग खाली करने के लिए राधे राधे कहता हो, उस भूमि में आकर उनका भी रोम रोम पुलकित हो जाता है। यह इस भूमि का ही असर है कि विेदेशी यहां जब दर्शन को आते हैं तो यहां की भक्ति और शांति को देखकर उसमें रम जाते है और फिर वे यहीं के हो जाते हैं। उनका कहना था कि राधा कृष्ण की धरती पर भक्ति के साथ शांति मिली हुई है।यहां के वातावरण में राधा और कृष्ण कण कण में बसे हुए हैं। उन्होने अटल बिहारी वाजपेयी की कविता हिन्दू तनमन को बोलते हुए कहा कि इस विषय को चरितार्थ करने में देश के साधु संतों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। पहले यातायात के साधन नही थे किंतु दुर्गम मार्गों पर चलकर संत विदेश की यात्रा कर चरित्र निर्माण की शिक्षा देते थे। भारत का यह संदेश तथा वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश देने के लिए उन्होंने कई देशों का भ्रमण किया।

शिकागो में हुए धार्मिक सम्मेलन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानन्द वहां पर भारतीय संतों की वेष भूषा यानी गेरूआ वस्त्र में गए थेे जब कि अन्य देशों के लोग वहां पर सूट टाई लगाकर बैैठे थे। सभी लोग आश्चर्यचकित होकर विवेकानन्द की ओर देख रहे थे। एक सज्जन ने तो उनसे कह ही दिया कि जब उन्हें ऐसे कार्यक्रम में आना था तो ठीक कपड़े पहनकर आना चाहिए था। विवेकानन्द ने उस समय इसका जवाब नही दिया किंतु जब बोलने के लिए खड़े हुए तो उन्होंने कहा कि “ तुम्हारे देश में तो कपड़ा सिलनेवाला मनुष्य बनाता है किंतु हमारे देश में चरित्र से मनुष्य का निर्माण होता है।’’

उन्होंने बताया कि आज उन्होंने देश के प्रथम बालिका सैनिक स्कूल का लोकार्पण वात्सल्य ग्राम में किया जब कि इस पावन भूमि में यह लोकार्षण किसी संत द्वारा होना चाहिए था। उन्होने कहा किंतु उन्हें खुशी है कि उदघाटन के समय गोरक्षा पीठाधीश्वर भी शामिल थे जो कि एक महान संत भी हैं।

राजनाथ ने पूर्व में कहा कि आज अंग्रेजी कलेन्डर का नया वर्ष शुरू हो रहा है । उन्हें ,खुशी है कि इस अवसर पर उन्हें संतों का आशीर्वाद मिला है। पूर्व में साध्वी ऋतंभरा ने उपस्थित समुदाय का स्वागत किया तो युग पुरूष परमानन्द महराज ने कहा कि उनकी शिष्या ऋतभरा ने राम मन्दिर निर्माण के आंदोलन में उनके आदेश से काम किया है। अब वे उन्हें समाज में समरसता स्थापित करने का कार्य करने का आदेश दे रहे हैं।

इस अवसर योग गुरू रामदेव, काष्र्णि गुरू शरणानन्द महराज,स्वामी राम भद्राचार्य महराज, विजय कौशल जी महराज, गीता मनीषी ज्ञानानन्द महराज आदि संतों ने भी विचार व्यक्त किये।

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