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राष्ट्रपति के लिए चाहिये खास जाति का अंगरक्षक, जातिवादी विज्ञापन पर मचा हंगामा

 

नई दिल्ली, राष्ट्रपति अंगरक्षक की माह सितम्बर में भर्ती रैली का आयोजन किया जा रहा है। लेकिन राष्ट्रपति के लिए बॉडीगार्ड नियुक्ति के जातिवादी विज्ञापन पर, हंगामा मच गया है।

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सूत्रों के अनुसार, भर्ती कार्यालय, हमीरपुर के निदेशक ने बताया कि इस भर्ती रैली में सिख (मजबी, रामदासिया, एससी और एसटी को छोड़कर), जाट और राजपूत की भर्ती की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस भर्ती रैली में उपयुक्त उम्मीदवार राष्ट्रपति अंगरक्षक भवन, न्यू दिल्ली में चार सितम्बर को प्रातः सात बजे पहुंचना सुनिश्चित करें।

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निदेशक ने बताया कि इस भर्ती रैली में साढ़े 17 से 21 वर्ष आयु वर्ग के उम्मीदवार भाग ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि उम्मीवार की शैक्षणिक योग्यता 45 प्रतिशत अंकों के साथ दसवीं की अंकसूची दस्तावेज जमा करने होंगे तथा उम्मीदवार की लंबाई छह फुट (183 सैंटीमीटर) और सिख, जाट और राजपूत वर्ग से होना अनिवार्य है। निदेशक ने कहा कि उपयुक्त उम्मीदवार को भर्ती के समय 10वीं कक्षा उत्तीर्ण अंक तालिका और प्रमाण-पत्र, डोमिसाइल प्रमाण-पत्र, जाति प्रमाण-पत्र, चरित्र प्रमाण-पत्र (छह माह पुराना नहीं होना चाहिए), रंगीन फोटोग्राफस, राशन कार्ड, एनसीसी/स्पोर्टस प्रमाण-पत्र और आधार कार्ड साथ ले जाना होगा।उक्त विज्ञापन, समाचार पर सोशल मीडिया पर जबर्दस्त प्रतिक्रिया हो रही है।

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वरिष्ठ पत्रकार महेंद्र यादव अपनी फेसबुक वाल पर लिखतें हैं-

“अनुसूचित जाति” के बहुचर्चित राष्ट्रपति के लिए बॉडीगार्ड चाहिए।
केवल सिख, जाट और राजपूत ही होने चाहिए लेकिन अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग नहीं होने चाहिए, ओबीसी भी नहीं चलेंगे।
“अनुसूचित जाति” के राष्ट्रपति का कार्यालय कह रहा है कि ओबीसी, अनुसूचित जाति और जनजाति तथा गैर सिख कमतर होते हैं। राष्ट्रपति की सुरक्षा नहीं कर पाएंगे।
तस्वीर- Ramesh Bhangi जी के सौजन्य से।

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दरबू सिंह उल्के अपनी फेसबुक वाल पर लिखतें हैं-

अखबारों में प्रकशित समाचार जाति आधारित अंगरक्छक भारत के राष्ट्रपति को चाहिये भेदभाव करनेवाले रास्ट्रपति को तत्काल संसद महाभियोग लाकर हटा दे नहीं चाहिए …..जातिवादी राष्ट्रपति 

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 लोकप्रिय समाज विज्ञानी और वरिष्ठ संपादक दिलीप सी मंडल अपनी फेसबुक वाल पर लिखतें हैं-

 यह भी कोई देश है महाराज?

राष्ट्रपति भवन में इस समय अनुसूचित जाति का एक नागरिक बैठा है। लेकिन अनुसूचित जाति का कोई शख़्स उनकी सुरक्षा करने वाली अंगरक्षक टुकडी में तैनात नहीं हो सकता। आदिवासी भी नहीं। पटेल, अहीर, मौर्य, कुम्हार, तेली कोई नहीं। मुसलमान, सिख, बौद्ध, ईसाई, पारसी भी नहीं।

यह भारत सरकार का नियम है, जिसे तोड़ा नहीं जा सकता। आज कई अख़बारों में राष्ट्रपति अंगरक्षक की भर्ती की सूचना है।

यह सेना की एक यूनिट है।

सरकार ने साफ़ कहा है कि हिंदू राजपूत, हिंदू जाट और जाट सिख ही अप्लाई कर सकते हैं।

यह परंपरा आज़ादी के समय से जारी है।

हरियाणा के रेवाड़ी के एक यादव जी ने सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि हम इस फ़ौज में क्यों नहीं जा सकते।

इसपर सेना ने 2013 में हलफ़नामा दाख़िल किया कि यह सही है कि तीन जातियों के लोगों को ही राष्ट्रपति का बॉडीगार्ड बनाया जाता है। “लेकिन यह जातिवाद नहीं है।”

ख़बर – आज के अमर उजाला अखबार से

इस यूनिट में घोड़ों की देखभाल करने वालों में किसी भी जाति के लोग जा सकते हैं।

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