नई दिल्ली, राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर उपयुक्त उम्मीदवार के नाम पर अब किसी तरह की चर्चा से भाजपा भले ही इनकार करती आ रही है, पर भीतरखाने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर सुगबुगाहट शुरु हो गई है। बीते गुरुवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों व पार्टी के नेताओं के साथ चर्चा की। शाह के अकबर रोड स्थित आवास पर तकरीबन दो घंटे चली बैठक में कई मुद्दों के साथ ही राष्ट्रपति चुनाव और राजग उम्मीदवार को लेकर भी चर्चा की गई। बैठक में पार्टी नेताओं ने गैर-राजग और गैर-संप्रग दलों को साधने की रणनीति पर ध्यान केंद्रित किया।
इस बैठक में वरिष्ठ मंत्री अरुण जेटली, राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज और नितिन गडकरी ने भाग लिया। पार्टी के महासचिव भूपेंद्र यादव, अरुण सिंह और अनिल जैन भी उपस्थित रहे। दरअसल, भाजपा इस बात को लेकर मुतमइन है कि जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में अपने पसंद के उम्मीदवार को राष्ट्रपति भवन भेजने का आंकड़ा उसके पास है। तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक के कुनबे में टकराव के बावजूद दोनों धड़े और तेलंगाना में तेलंगाना राष्ट्र समिति ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को समर्थन का भरोसा दिया है।
बावजूद, भाजपा किसी तरह का कोई जोखिम उठाने को तैयारी नहीं है। हाल ही में जब अमित शाह संघ मुख्यालय पहुंचे तो सियासी हलकों में यह अटकलें लगाई जाने लगी कि संघ प्रमुख मोहन भागवत और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा के लिए भाजपा अध्यक्ष नागपुर गए हैं। हालांकि, भाजपा ने उम्मीदवार के नाम को लेकर अब तक कोई संकेत नहीं दिया है और अपने पत्ते बंद रखे हैं। चर्चा तो यह भी है कि मोदी ने पहले ही उम्मीदवार के नाम का फैसला कर लिया है और शाह इस पर एक आम सहमति बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
उम्मीदवार के नाम को लेकर सस्पेंस बनाने के पीछे एक और भी कारण बताया जा रहा है। भाजपा केंद्र सरकार के कार्यकाल की तीसरी वर्षगांठ का जश्न मना रही है, जो 15 जून तक चलेगा। इसलिए पार्टी अभी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर पत्ते खोलने से बच रही है। ताकि मीडिया में सरकार के कामकाज और उपलब्धियों को पर्याप्त जगह मिल सके। हालांकि, पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि राजग को राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के मुकाबले 1,15,720 मत ज्यादा है।
ये दीगर बात है कि अब तक पार्टी ने उम्मीदवार के नाम का कोई खुलासा नहीं किया है। इतना ही नहीं, तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक के दोनों धड़ों के पास राजग के साथ जाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। क्योंकि, कांग्रेस ने डीएमके को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया था। ऐसे में अन्नाद्रमुक के साथ आने से राजग के पास मतों के आंकड़े में बढ़ोतरी हो गई है। जबकि, पहले भाजपा की अगुवाई वाली राजग के पास 11,000 मत कम थे।