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राष्ट्रीय राजनीति की ओर बढ़ते, अखिलेश यादव के कदम

नई दिल्ली, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी पर अपनी पूरी पकड़ बनाने के बाद अब अपने कदम राष्ट्रीय राजनीति की ओर बढ़ा दिये हैं.मुलायम सिंह यादव का भारत की राष्ट्रीय राजनीति मे एक अहम स्थान है. वह देश के टाप तीन नेताओं मे गिने जातें हैं.अखिलेश यादव अब समाजवादी पार्टी के साथ-साथ राष्ट्रीय राजनीति मे भी अपने पिता मुलायम सिंह यादव का स्थान प्राप्त करना चाहतें हैं. इसके लिये अखिलेश यादव ने प्रयास भी शुरू कर दिये हैं.

समाजवादी पार्टी  पर कब्जे के बाद, उन्होने धीरे-धीरे अपना कद मुलायम सिंह यादव के करीब लाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की हार के बाद, अखिलेश यादव अब सपा संगठन के अंदर लगातार अपनी ताकत बढ़ाने में लगे हुए हैं. अखिलेश संगठन में भी बड़े पैमाने पर फेरबदल कर रहे हैं. उन्होने तीन राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष बदलकर सपा के अन्य राज्यों मे विस्तार के स्पष्ट संकेत दे दियें हैं. साथ ही कई जिलों में कार्यकारिणी अध्यक्षों सहित भंग कर दी गई है और नए नेताओं को जिम्मेदारी दी जा रही है.

संगठन में भारी बदलाव कर विरोधियों को किनारे करने के साथ ही अखिलेश ने अब संगठन को बेहतर बनाने के लिए 15 अप्रैल से सदस्य भर्ती अभियान का ऐलान भी कर दिया है. दो महीने चलने वाले इस अभियान में प्रदेश के सभी जिलों में युवाओं की नई फौज खड़ी करने की तैयारी है. यही नहीं,  विधानसभा में प्रतिपक्ष का नेता तय करने मे भी उन्होने किसी भी वरिष्ठ को तवज्जो न देकर यह दिखाने की कोशिश की है कि अब समाजवादी पार्टी मे बड़े से बड़ा निर्णय वह स्वयं ही लेंगे.

आजकल मुलायम सिंह यादव पार्टी के क्रियाकलापों से दूर ही दिखाई दे रहे हैं. पार्टी सिंबल की लड़ाई हारने के बाद से ही पहले तो उन्होने चुनाव से दूरी बनायी और अब अब सक्रिय राजनीति से दूर ही दिख रहे हैं. राष्ट्रीय मुद्दों पर स्टैंड लेने से लेकर, विरोधियों के खिलाफ राजनीतिक हमले या सहयोगी दलों को समर्थन इन सभी मामलों में मुलायम सिंह फिलहाल खामोश ही रहते हैं.

वहीं, अखिलेश यादव ने अब राष्ट्रीय राजनीति में, दखल देनी  शुरू कर दी है. हाल ही मे अखिलेश की दिल्ली यात्रा ने साफ कर दिया है कि वह अब राष्ट्रीय राजनीति में मुलायम सिंह की जगह लेने की कोशिश में हैं. दिल्ली में उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, एनसीपी के शरद पावर और कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद सहित कई वरिष्ठ नेताओं से सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर मुलाकात की. इससे अखिलेश ने ये साफ संकेत दिये हैं  कि राष्ट्रीय राजनीति में भी सपा की ओर से वही निर्णय लेंगे. केन्द्र की बीजेपी सरकार के खिलाफ किसी भी प्रकार की रणनीति हो या अन्य कोई मुद्दा उनकी रजामंदी के बाद ही सपा उसमे शामिल होगी.

अखिलेश यादव डेढ़ दशक से राजनीति में सक्रिय हैं. सांसद और यूपी के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने देश व प्रदेश की समस्याओं को गहराई से समझा है.  करोड़ों नौजवान उनमें अपना भविष्य देखते हैं. उन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में विकास के जो कार्य किए उनकी प्रशंसा देश भर में हुई है. इसलिये ये सही है कि अखिलेश ही अब समाजवादी पार्टी का चेहरा हैं और उसे अब मुलायम सिंह यादव की जगह लेने से जोड़कर ही देखा जाना चाहिए.