
राहुल गांधी ने अपने पत्र में लिखा “मैं केरल, गुजरात और अंडमान एवं निकोबार के तट पर अपतटीय खनन की अनुमति देने के केंद्र सरकार के फैसले की कड़ी निंदा करता हूं। अपतटीय खनन की पर्यावरणीय प्रभावों का आकलन किए बिना अनुमति देने और खनन के लिए निविदाएं जारी करने का तटीय इलाकों के लोग विरोध कर रहे हैं। लाखों मछुआरे अपनी आजीविका और जीवन शैली पर इसके प्रभाव को लेकर चिंतित हैं। मैं सरकार से अपतटीय खनन ब्लॉकों के लिए जारी निविदाओं को रद्द करने का आग्रह करता हूं।”
उन्होंने कहा,“केरल में 11 लाख से ज्यादा लोगों की आजीविका मछली पकड़ने के व्यवसाय पर निर्भर है। यह उनका परंपरागत व्यवसाय है और ग्रेटर निकोबार विश्व स्तर पर अपनी कठोर विविध पारिस्थितिकी प्रणाली के लिए जाना जाता है और यह कई स्थानिक प्रजातियों और वन्य जीवों का घर है। अपतटीय खनन से इनका जीवन प्रभावित हो सकता है। हमारे तटीय इलाकों को इसके कारण नुकसान हो सकता है। हमारे तटीय पारिस्थितिकी तंत्र के क्षरण ने चक्रवात जैसे प्राकृतिक जलवायु प्रभावों को और भी बदतर बना दिया है।”
राहुल गांधी ने सरकार से अपतटीय क्षेत्रों में होने वाले खनन की निविदाएं रद्द करने की मांग करते हुए कहा कि खनन की अनुमति देने से पहले तटीय क्षेत्रों की पारिस्थितिकी का अध्ययन किया जाना चाहिए। साथ ही,संबंधित पक्षों खासकर मछुआरे समुदाय के लोगों से इस बारे में विचार विमर्श कर ही निर्णय लिया जाना चाहिए।