मुंबई, सार्वकालिक रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचे शेयर बाजार के अगले सप्ताह वैश्विक कारकों से दबाव में रहने का अनुमान जताया जा रहा है, जिसके मद्देनजर निवेशकों विशेषकर छोटे निवेशकों को सतर्कता बरतते हुये निवेश करने की सलाह दी गयी है।
बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 60 हजार अंक की ओर बढ़ते हुये बीते सप्ताह 59737.32 अंक के सार्वकालिक रिकाॅर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद लिवाली के बल पर 710.82 अंकों की साप्ताहिक बढ़त के साथ 59015.89 अंक पर रहा। इसी तरह से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी भी अब तक के रिकाॅर्ड स्तर 17792.95 अंक पर पहुंचने में सफल रहा था और सप्ताहांत पर 215.90 अंक चढ़कर 17585.15 अंक पर रहा।
बीएसई में दिग्गज कंपनियों की तरह ही छोटी और मझौली कंपनियों में भी लिवाली का जोर रहा, जिससे मिडकैप 341.17 अंक बढ़कर 25046.48 अंक पर और स्मॉलकैप 361.69 अंक उठकर 28006.79 अंक पर रहा।
विश्लेषकों का कहना है कि अगले सप्ताह घरेलू स्तर पर कोई विशेष कारक नहीं दिख रहा है, जिससे शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव दिख सके लेकिन वैश्विक स्तर पर ऐसे कई कारक बन रहे हैं जिनका शेयर बाजार पर असर पड़ सकता है। उनका कहना है कि अगला सप्ताह शेयर बाजार के लिए बहुत ही नाजुक हो सकता है क्योंकि सेंसेक्स 60 हजारी होने के लिए बेताब दिख रहा है। जिस तरह से बीते सप्ताह सेंसेक्स 59737 अंक के स्तर को छू चुका है उससे तो स्पष्ट है कि यह किसी भी समय 60 हजारी हो सकता है लेकिन वैश्विक स्तर पर होने वाले घटनाक्रम पर नजर रखना आवश्यक है।
विश्लेषकों का कहना है कि अगले सप्ताह एफओएमसी की बैठक 21 और 22 सितंबर को होने वाली है और उसके निर्णय का असर बाजार पर दिख सकता है। इसके साथ ही अमेरिकी फेडरल रिजर्व के बॉन्ड पर चर्चा करने और बैंक ऑफ जापान के 22 सितंबर को मौद्रिक नीति जारी करने का असर भी बाजार पर दिख सकता है। इसके साथ ही बाजार के अब तक सार्वकालिक स्तर पर होने से विदेशी निवेशकों के मुनाफा काटने की आशंका भी बन रही है, जिससे घरेलू स्तर पर बाजार में करेक्शन दिख सकता है। इसके मद्देनजर छोटे निवेशकों विशेषकर खुदरा निवेशकाें को सतर्क रहने की जरूरत है।