लखनऊ, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लोकसभा में प्रस्तुत किए गए वर्ष 2016-17 के रेल बजट को निराशाजनक बताते हुए कहा है कि इस रेल बजट में उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य की जरूरतों की अनदेखी की गई है।उन्होंने रेल बजट में उत्तर प्रदेश की अपेक्षाओं का ध्यान न रखे जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी को लोकसभा में 71 सांसद देने वाले राज्य के साथ सौतेला व्यवहार किया गया है।
श्री यादव ने आश्चर्य जताया कि प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री और रेल राज्य मंत्री सहित तमाम केन्द्रीय मंत्री संसद में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे में केन्द्र सरकार द्वारा प्रदेश की उपेक्षा किया जाना यह दर्शाता है कि उत्तर प्रदेश बीजेपी की प्राथमिकताओं में नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी हाल ही में उन्होंने केन्द्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु को राज्य की विशेष आवश्यकताओं को देखते हुए कुछ महत्वपूर्ण प्रस्तावों को रेलवे बजट में शामिल करने का अनुरोध किया था। राज्य की जनता के हितों से जुड़े इन मामलों पर भी रेल बजट में गम्भीरता से ध्यान नहीं दिया गया। श्री यादव ने कहा कि तात्कालिक जरूरतों को समय से पूरा करने के बजाय रेल बजट में राष्ट्रीय रेल योजना 2030 की बात कही गई है। रेल मंत्रालय यदि सही मायने में जनता को बेहतर सुविधा पहुंचाने के लिए गम्भीर होता, तो इतनी लम्बी अवधि के लिए योजना तैयार करने की बात के साथ-साथ फौरी तौर पर भी यात्रियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए कदम उठाता। उन्होंने कहा कि कार्य क्षमता और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए कॉरपोरेट योजनाएं तैयार करना तभी उचित होगा, जब रेल मंत्रालय अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए भी प्रतिबद्धता जाहिर करे।