भोपाल, मध्य प्रदेश के दो आईएएस अफसरों ने राज्य सरकार पर कथनी-करनी में फर्क और जाति के आधार पर भेदभाव करने का आरोप लगाया। आईएएस अफसरों ने एक मंच पर आकर सरकार के खिलाफ धरना दिया . राजधानी के अंबेडकर पार्क में दलित-आदिवासी फोरम के बैनर तले आयोजित दिनभर के धरने में आईएएस अफसर शशि कर्णावत और रमेश थेटे ने हिस्सा लिया और राज्य सरकार पर जाति के आधार पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया। दोनों अधिकारियों ने घोषणा की कि वे किसी भी कीमत पर न डरेंगे और न झुकेंगे। वरिष्ठ दलित आईएएस अधिकारी रमेश थेटे ने कहा कि वह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान के खिलाफ धरना नहीं दे रहे हैं, बल्कि वह अपनी बात कहने आए हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है, उनके खिलाफ नौ से ज्यादा मामले दर्ज किए गए, लोकायुक्त उनके पीछे पड़ा हुआ है, उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय ने सभी मामलों में उनके पक्ष में फैसला दिया, उसके बाद उन्हें पदोन्नति मिली, मगर एरियर और गरिमा के मुताबिक पदस्थापना नहीं की गई। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में थेटे को बाल संरक्षण आयोग का सचिव बनाया गया है। थेटे ने कहा कि उन्हें प्रताड़ित सिर्फ इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि वह दलित वर्ग से हैं। कर्णावत के अनुसार, जिस तरह का प्रकरण दर्ज कर उन्हें निलंबित किया गया है, ठीक वैसा ही मामला एक अन्य अधिकारी पर था, परंतु सरकार ने उसे संरक्षण दिया, और वर्तमान में वह जिम्मेदार पद पर पदस्थ है। कर्णावत ने आरोप लगाया, ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि वह अधिकारी सवर्ण है, और मैं दलित हूं। उन्होंने कहा कि वह अपने हक की लड़ाई लड़ती रहेंगी। थेटे ने आशंका जाहिर की कि दलित-आदिवासी फोरम में आने के लिए उनके खिलाफ सरकार कार्रवाई कर सकती है। लेकिन उन्होंने घोषणा की कि अगर उन्हें नोटिस भी दिया गया तो वह अन्न-जल त्याग कर मृत्यु को वरण करेंगे। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि अगर उनके साथ कोई अनहोनी होती है तो उनके शव को मुख्यमंत्री आवास, मंत्रालय और बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा के सामने कुछ समय के लिए रखा जाए। यह कहते हुए उनका गला भर आया और वह फफक-फफक कर रोने लगे। मंच पर मौजूद फोरम के संयोजक मोहन लाल पाटील व अन्य ने उन्हें संभाला। इस मौके पर दलित-आदिवासी फोरम के संयोजक मोहन लाल पाटील ने भाजपा पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं, वहां दलितों को सताया जा रहा है। इस दल का नजरिया न बदलने पर आने वाले समय में इसके नतीजे भुगतने पड़ेंगे।