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लंपी बीमारी की रोकथाम के लिए प्रतिबंधात्मक आदेश

उज्जैन,मध्यप्रदेश के उज्जैन संभाग के पांच जिलों में पशुओं में फैल रही लंपी स्किन बीमारी की रोकथाम के लिए संभागायुक्त ने प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किए हैं।

आधिकारिक जानकारी के अनुसार संभागायुक्त संदीप यादव के निर्देशानुसार उज्जैन संभाग के उज्जैन, रतलाम, मंदसौर, नीमच और आगरमालवा के कलेक्टरों ने दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा-144 के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर दिये हैं। इसके अनुसार इन जिलों में किसी भी व्यक्ति या संस्थान द्वारा गौवंश/भैंसवंश का परिवहन किसी भी प्रकार के वाहन या व्यक्तिगत पैदल रूप से राजस्थान राज्य एवं उसकी सीमाओं से जुड़े जिलों से संबंधित जिले में नहीं किया जायेगा। संक्रमित क्षेत्र के केन्द्र बिन्दु से 10 किलोमीटर परिधि क्षेत्र में पशु बिक्री बाजार पूर्णत: प्रतिबंधित रहेगी।

आदेश के तहत इन जिलों की नगर पालिका निगम, ग्राम पंचायत, नगरीय निकाय एवं अनुविभागीय अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र में ऐसे क्षेत्र जहां लोगों द्वारा पशुपालन किया जाता है, वहां मक्खी/मच्छर के नियंत्रण के लिए आवश्यक कीटनाशकों का छिड़काव किया जाना सुनिश्चित करेंगे। पशु की मृत्यु होने पर गहरा गड्ढा खोदकर चूना एवं नमक डालकर शव निष्पादन करना होगा। शव निष्पादन स्थल, जलस्त्रोत एवं आबादी से दूर होना चाहिए।

पशुपालन विभाग के संयुक्त संचालक डॉ एन के बामनिया ने बताया कि उज्जैन संभाग के उज्जैन, रतलाम, मंदसौर और नीमच जिलों में गौवंश में लंपी रोग के लक्षण पाये गये हैं। रोग की पुष्टी होने के उपरान्त पशुपालन विभाग भारत सरकार द्वारा जारी एडवाइजरी अनुसार रोग की रोकथाम एवं बचाव के उपाय किये जा रहे हैं।

संभाग में अभी तक 1362 संक्रमित पशु पाये गये हैं। जबकि 1114 पशु रोगमुक्त हो चुके हैं। कुल 81,203 पशुओं को रोकथाम हेतु टीकाकरण किया जा चुका है। टीकाकरण सतत् रूप से जारी है। अभी तक कुल 6 पशुओं की मृत्यु हुई है।

डॉ. बामनिया ने बताया कि पशुपालकों को रोग से घबराने की आवश्यकता नहीं है। लक्षण दिखने पर प्रभावित पशु को स्वस्थ्य पशुओं से अलग रखते हुए नजदीकी पशु चिकित्सा संस्था को सूचना दें। विभाग द्वारा उपचार के समुचित उपाय सुनिश्चित किये गये हैं। चूंकि यह रोग मक्खी, मच्छर एवं अन्य पशु परजीवियों से फैलता है, इसके लिए पशुपालक अपने पशु बाड़ों में साफ सफाई रखें, नीम का धुंआं करें और संक्रमित पशु के संपर्क में आने पर साबून से हाथ धोकर ही पशुबाड़े में जाएं।