लखनऊ- केजीएमयू में ट्रॉमा सेन्टर से लेकर वार्डों तक दलाल सक्रिय

KGMU-1443607056लखनऊ, राजधानी के किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय  में ट्रॉमा सेन्टर से लेकर वार्डों तक दलाल सक्रिय हैं। वहीं केजीएमयू प्रशासन जानते हुए दलालों पर शिकंजा नहीं कस रहा है।

क्वीनमेरी अस्पताल में कुछ चिकित्सकों के मिली भगत से निजी पैथलॉजी के दलाल आते हैं और खुले आम जांच कर चले जाते हैं। यही हाल ट्रॉमा सेन्टर का भी है। जांच के बदले मरीजों से मोटी रकम की उगाही भी होती है। पूछताछ पर वार्ड में तैनात उनकों केजीएमयू का ही कर्मचारी बता कर पूरे मामले पर पर्दा डाल दिया जाता है। ट्रॉमा सेन्टर में रोजाना खुले आम एक व्यक्ति अपने ईसीजी उपकरण के साथ आता है और मरीजों से जबरन जांच कराने को कहता है। जांच करने के बाद मरीजों को रिपोर्ट देता है। यह व्यक्ति रिपोर्ट के बदले में प्रति मरीज 200 रुपये लेता है। इस तरह वो रोजाना 30 से 40 मरीजों का ईसीजी कर बिना रसीद के पैसे की उगाही करता है। यह जानकारी ट्रॉमा के अधिकारियों को भी है। लेकिन वह भी इस पर कुछ नहीं बोलते।

ट्रॉमा में भर्ती मरीज के परिजनों के मुताबिक यहां पर भर्ती मरीजों से लेकर जो मरीज स्ट्रेचर पर भी होते हैं, उनका भी ईसीजी जांच कर उनकों रिपोर्ट दलाल दे देते है और रिपोर्ट के बदले 200 रुपये ले लेते हैं। इस पर जब उनसे पूछा गया कि क्या यहां के चिकित्सक ईसीजी कराने को कहते हैं। तो राकेश ने बताया कि हमलोगों को जांच के बारे में कुछ नहीं बताया जाता है। यहां पर पूरे इलाज की फाइल डॉक्टर के पास जमा होती है। नीलमथा निवासी अवधेश तिवारी बताते हैं कि पिछले हफ्ते उनकी भी भतीजी का इलाज ट्रॉमा सेन्टर के न्यूरो सर्जरी विभाग में चल रहा था। उनके पास भी सुशील नाम के इस व्यक्ति ने आकर जांच कराने को कहा । इस पर जब वहां मौजूद अन्य कर्मचारियों से पूंछा तो उन्होंने बताया कि यह लारी से आये हैं, इनसे जांच करा लो। जिसके बाद सुशील नाम के व्यक्ति ने जांच कर रिपोर्ट दी और बदले में 200 रुपये लिये। लेकिन रसीद मांगने पर रसीद नहीं दी और कहा अपने डॉक्टर से बात करो। जबकि ट्रॉमा सेन्टर में सभी जांच की बकायदा रसीद दी जाती है। यह मामला तो बानगी मात्र है यहां बल्ड सैम्पलर दवाओं तक में चिकित्सकों का कमीशन सेट है। इसी के चलते निजी पैथालॉजी व दवा दुकानों के दलाला खुले आम केजीएमयू में घूमते हैं। चौक स्थित चरक पैथालॉजी के कई नुमाइंदे केजीएमयू के विभिन्न वार्डो में रोजाना घूमते हुए मिल जाएंगे। कई बार तो वार्डो में भर्ती मरीजों से चिकित्सक खुद कहते हैं कि यहां की रिपोर्ट ठीक नहीं आई है। दोबारा से एक जांच बाहर से भी करा लो। उसके बाद मजबूरन मरीज को एक ही टेस्ट दो बार कराना पड़ता है। इस मामले में ट्रॉमा सेन्टर प्रभारी डा.हैदर अब्बास का कहना है कि हमें इसकी कोई जानकारी नहीं है।

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