लखनऊ, इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने हजरतगंज के प्रयाग नारायण रोड स्थित याजदान बिल्डर्स की बहुखंडी इमारत के ध्वस्तीकरण के खिलाफ फ्लैट खरीददारों की याचिका पर कोई राहत नहीं दी ।
हाईकोर्ट ने लखनऊ विकास प्राधिकरण,जिलाधिकारी लखनऊ व अन्य से कहा कि यह लोग हलफनामा पेश कर बताए कि नजूल की जमीन पर इतने सालो से निर्माण कैसे होता रहा और अधिकारियों ने निर्माण के लिए अनापत्ति कैसे दी गई । इस मामले में अदालत ने आवंटियों के पक्ष में फिलहाल कोई अंतरिम आदेश जारी नही किया ।
यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने याची आवंटियों की ओर से दायर याचिका पर दिए है । कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई दस दिन के बाद नियत की है ।
सुनवाई के दौरान कोर्ट के संज्ञान में आया कि उक्त बिल्डिंग जिस जमीन पर बनी है, वह नजूल की जमीन है एंव इसका पट्टा किसी और को किया गया था। इस पर कोर्ट ने उक्त पट्टे की डीड को पेश करने का आदेश भी दिया है। अदालत ने एलडीए सहित सभी पक्षकारों से जानकारी तलब की है।
यह याचिका बिल्डिंग के फ्लैट खरीदारों निधि अग्रवाल, तृप्ति तारा प्रसाद शुक्ला, नुजहत खुर्शीद व रविकांत ने दाखिल किया है। याचियों की दलील थी कि एलडीए नक्शा पास न होने के आधार पर उक्त बिल्डिंग को अवैध बताते हुए गिरा रहा है जबकि जब उन्होंने फ्लैट्स खरीदे थे तो बताया गया था कि बिल्डिंग का नक्शा पास है। कहा गया कि छह सालों से इसका निर्माण चल रहा है, यदि अवैध निर्माण था तो एलडीए के अधिकारियों ने रोका क्यों नहीं। यही नहीं जिलाधिकारी ने वहां बेसमेंट के लिए खुदाई का आदेश दिया था।
याचिका का एलडीए ने विरोध करते हुए कहा कि बिल्डिंग का नक्शा 2019 में ही निरस्त कर दिया गया था। याचियों ने नक्शा निरस्त होने के बाद खरीददारी की लिहाजा उन्हें कोई राहत नहीं दी जा सकती। अगली सुनवाई दस दिन बाद होगी ।