लखनऊ, लेफ्टिनेंट जनरल शिवेंद्र सिंह ने लखनऊ छावनी स्थित सेना चिकित्सा कोर, केंद्र और कॉलेज के कमांडेंट और एएमसी रिकॉर्ड्स के प्रभारी अधिकारी का पदभार संभाल लिया है।
सेना चिकित्सा कोर, केंद्र और कॉलेज भारतीय सेना का एक प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान है। इससे पहले, लेफ्टिनेंट जनरल शिवेंद्र सिंह मुख्यालय उत्तरी कमान में एमजी मेड थे।
पदभार ग्रहण करने के बाद, लेफ्टिनेंट जनरल शिवेंद्र सिंह ने मंगलवार को एक समारोह में एएमसी सेंटर और कॉलेज में युद्ध स्मारक ‘श्रद्धांजलि’ पर पुष्पांजलि अर्पित कर सेना मेडिकल कोर के उन वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने अपने कर्तव्य पालन के दौरान अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान दिया।
समारोह में एएमसी सेंटर और कॉलेज के अधिकारी, जेसीओ, जवान और रंगरूट शामिल हुए। इसके बाद सेना चिकित्सा कोर, केंद्र और कॉलेज के ओपन एयर ऑडिटोरियम में एक विशेष सैनिक सम्मेलन भी आयोजित किया गया।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होने अधिकारियों, जेसीओएस, अन्य रैंकों और रंगरूटों को गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण प्रदान करने के महत्व पर जोर दिया, ताकि सशस्त्र बल कर्मियों को व्यापक और कुशल स्वास्थ्य देखभाल प्रदान की जा सके। उन्होंने एक प्रशिक्षक की जिम्मेदारी सौंपे जाने और सभी प्रशिक्षुओं के लिए रोल मॉडल बनने पर गर्व करने की आवश्यकता भी दोहराई।
25 दिसंबर 1987 को आर्मी मेडिकल कोर में कमीशन प्राप्त लेफ्टिनेंट जनरल शिवेंद्र सिंह एएफएमसी, पुणे के पूर्व छात्र और कार्डिएक एनेस्थीसिया और क्रिटिकल केयर के सुपर स्पेशलिस्ट हैं। जनरल ऑफिसर अपने साथ क्लिनिकल, अकादमिक, अनुसंधान और प्रशासनिक क्षेत्र में लगभग 37 साल का समृद्ध और विशद पेशेवर अनुभवी हैं।
उन्होंने वर्ष 1995 में एएफएमसी पुणे से एमडी (एनेस्थीसिया), 2003 में एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर से पोस्ट डॉक्टरेट सर्टिफिकेट कोर्स कार्डियक एनेस्थीसिया और क्रिटिकल केयर, 2004 में इंडियन सोसाइटी ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन से क्रिटिकल केयर मेडिसिन का डिप्लोमा और 2010 में एएमसी सेंटर और कॉलेज से पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा किया है।
लेफ्टिनेंट जनरल शिवेंद्र सिंह ने अपने विशिष्ट करियर में एएफएमसी पुणे में प्रशिक्षक, डीजीएएफएमएस के कार्यालय में ब्रिगेडियर एएफएमएस योजना सहित कई पेशेवर, स्टाफ, कमांड नियुक्तियों पर काम किया है। जनरल ऑफिसर को क्रमशः वर्ष 2004 और 2009 में जीओसी-इन-सी, पूर्वी कमान और पश्चिमी कमान प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया है।