नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी ने आपातकाल के बाद आम चुनाव (1977) और हाल के लोकसभा चुनाव (2019) को लोकतंत्र के महापर्व करार दिया और कहा कि लोगों ने लोकतंत्र के लिए मतदान किया है। मोदी ने आज आकाशवाणी पर अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि जब देश में आपातकाल लगाया गया तब उसका विरोध सिर्फ राजनीतिक दायरे तक सीमित नहीं रहा था।
उन्होेंने कहा, “ राजनेताओं तक सीमित नहीं रहा था। यह केवल जेल के सलाखों तक सिमट आंदोलन नहीं था। इसने जन-जन के दिल में एक आक्रोश भर दिया था। लोगों में खोये हुए लोकतंत्र की एक तड़प थी। सामान्य जीवन में लोकतंत्र के अधिकारों का पता नहीं चलता है लेकिन जब लोकतांत्रिक अधिकारों को छीन लिये जाते हैं तो भारी तकलीफ होते हैं। आपातकाल में, देश के हर नागरिक को लगने लगा था कि उसका कुछ छीन लिया गया है। जिसका उसने जीवन में कभी उपयोग नहीं किया था वो भी अगर छिन गया है तो उसका एक दर्द, उसके दिल में था।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “ भारत गर्व के साथ कह सकता है कि हमारे लिए, कानून नियमों से परे लोकतंत्र हमारे संस्कार हैं, लोकतंत्र हमारी संस्कृति है, लोकतंत्र हमारी विरासत है और उस विरासत को लेकर के हम पले-बड़े लोग हैं।” उन्होेंने कहा कि आपातकाल में लोकतंत्र की कमी महसूस की गयी थी। इसीलिए देश एक पूरा चुनाव अपने हित के लिए नहीं बल्कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए आहूत कर चुका था। वर्ष 1977 में केवल लोकतंत्र के लिए मतदान किया गया था। उन्होेंने कहा कि हाल ही में लोकतंत्र का महापर्व आम चुनाव संपन्न हुयें। अमीर से लेकर ग़रीब, सभी लोग इस पर्व में खुशी से देश के भविष्य का फैसला करने के लिए तत्पर थे।
उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र बहुत महान है और इस लोकतंत्र को भारतीय समाज की रगों में जगह मिली है। सदियों की साधना से, पीढ़ी-दर-पीढ़ी के संस्कारों से, एक विशाल व्यापक मन की अवस्था से यह जन मानस में रचा बसा है। देश में 2019 के लोकसभा चुनाव में, 61 करोड़ से ज्यादा लोगों ने वोट दिया। उन्होंने कहा, ‘‘यह संख्या हमें बहुत ही सामान्य लग सकती है लेकिन अगर दुनिया के हिसाब से मैं कहूँ अगर एक चीन को हम छोड़ दे तो भारत में दुनिया के किसी भी देश की आबादी से ज्यादा लोगों ने वोट किया था। जितने मतदाताओं ने 2019 के लोकसभा चुनाव में वोट दिया, उनकी संख्या अमेरिका की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा है, करीब दोगुनी है। भारत में कुल मतदाताओं की जितनी संख्या है वह पूरे यूरोप की जनसंख्या से भी ज्यादा है। यह हमारे लोकतंत्र की विशालता और व्यापकता का परिचय कराती है।”