नयी दिल्ली, लोकसभा में बृहस्पतिवार को कंपनी संशोधन विधेयक 2019 पेश किया गया जो कंपनी संशोधन दूसरा अध्यादेश 2019 का स्थान लेने के लिए लाया गया है। विपक्षी दलों ने विधेयक पेश करने का विरोध करते हुए कहा कि इसे जल्दबाजी में लाया गया और सदस्यों को अध्ययन के लिए पूरा समय नहीं मिला ।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जैसे ही विधेयक पेश करने के लिये उठीं, वैसे ही तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह कार्यसूची में नहीं था । किसी सूची में इसकी जानकारी नहीं दी गई कि इस विधेयक को लाना है । उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार जल्दबाजी में है । आसन को निर्देश देना चाहिए कि आज मंत्री विधेयक को वापस लें और कल पेश करें ।
कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सदन की कार्यवाही के संचालन की प्रक्रिया है और नियम है । उससे अलग होकर काम नहीं करना चाहिए । इस पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह कोई ऐसा विधेयक नहीं है जो बिना चर्चा के आया हो । इस बारे में 2 नवंबर 2018 को कंपनी संशोधन अध्यादेश आया था । 4 जनवरी 2019 को लोकसभा ने इसके स्थान पर विधेयक को मंजूरी दी थी । यह विधेयक राज्य सभा में सूचीबद्ध था लेकिन इसे नहीं लिया जा सका । इसके कारण कंपनी संशोधन दूसरा अध्यादेश 2019 लाया गया ।
मंत्री ने कहा कि अब कंपनी संशोधन दूसरा अध्यादेश 2019 का स्थान लेने के लिए कंपनी संशोधन विधेयक 2019 लाया गया । सीतारमण ने कहा कि सदस्य अध्यादेश का विरोध करते हैं, तब अध्यादेश के स्थान पर यह विधेयक लाया गया है, यही सर्वश्रेष्ठ उपाय है ।विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों के अनुसार इसके माध्यम से कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 2 के खंड 41 का संशोधन करने की बात कही गई है जिससे केंद्र सरकार को कुछ कंपनियों को भिन्न भिन्न वित्तीय वर्ष रखने देने का अधिकार दिया गया है।