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वन हमारी आध्यत्मिक संस्कृति का हिस्सा- प्रणब मुखर्जी

नई दिल्ली,  पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भारतीय वन सेवा प्रशिक्षुओं को परीक्षा पास करने की बधाई देते हुए आग्रह किया कि वे देश के वनों की रक्षा करें क्योंकि वन भारतीय मूल्यों व संस्कृति के लिए खास हैं। मुखर्जी ने अधिकारियों से कहा कि उन्होंने बहुत ही महान पेशे को चुना है और इसकी महानता यह है कि उनके कंधों पर वनों में बसने वाली हमारी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करने की जिम्मेदारी है।

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 प्रणब ने कहा, आपने एक बहुत ही बढ़िया पेशा चुना है। भारतीय आस्था और संस्कृति के लिए वन हमेशा से खास रहे हैं। हमारी सभ्यता ने जंगलों से अपनी बौद्धिक और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त की है। उन्होंने कहा, वन केवल संसाधन मात्र नहीं हैं बल्कि यह देश की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और बौद्धिक विरासत को भी संग्रहित करते हैं।

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 पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि विश्व पर्यावरण के दुर्दशा के खतरों के प्रति जागरूक हो रहा है जिससे मानव जाति के अस्तित्व को खतरा है। वनों ने प्रकृति के संतुलन को बहाल करने और ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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