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वरिष्ठ वकील का दर्जा तय करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए ये दिशा-निर्देश

नयी दिल्ली,  उच्चतम न्यायालय ने वकीलों को वरिष्ठ का दर्जा देने के लिए भारत के प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक स्थाई समिति गठित करने सहित अन्य कई दिशा-निर्देश आज दिये। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि भारत के प्रधान न्यायाधीश के अलावा समिति में उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालयों में से एक के वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होंगे। यह परिस्थिति आधारित होगा।

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 पीठ में न्यायमूर्ति आर. एफ. नरीमन और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा भी शामिल हैं। पीठ ने एक स्थाई सचिवालय के गठन का प्रस्ताव रखा है जो, स्थाई समिति द्वारा जिस वकील को वरिष्ठ दर्जा देने पर विचार किया जाना है, उसकी जानकारी जुटाएगा। भारत के प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली इस स्थाई समिति में उच्चतम/उच्च न्यायालयों में से एक के वरिष्ठतम न्यायाधीश और बार काउंसिल के प्रतिनिधि के अलावा उच्चतम न्यायालय के संदर्भ में अटॉर्नी जनरल और उच्च न्यायालयों के संदर्भ में एड्वोकेट जनरल शामिल होंगे।

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 वकीलों को वरिष्ठ वकील का दर्जा देने के संबंध में फैसला करते हुए यह समिति विभिन्न पहलुओं पर भी विचार करेगी, जिनमें प्रैक्टिस के वर्ष, वकील जिन मुकदमों का हिस्सा रहे हैं उनके फैसले, प्रो बोना लिटिगेशन  और व्यक्तित्व परीक्षण शामिल है। वकील का व्यक्तित्व परीक्षण किया जाएगा जिसमें वरिष्ठ वकील का दर्जा देने से पहले उसका साक्षात्कार लिया जाएगा।

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 पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि वरिष्ठ का दर्जा देने के लिए जिन वकीलों के नाम पर विचार हो रहा होगा, स्थाई सचिवालय उनकी सूची वेबसाइट पर सार्वजनिक करेगा ताकि पक्षकार अपना रूख पेश कर सकें। साथ ही पीठ ने कहा कि स्थाई समिति द्वारा विचार करने और नामों को स्वीकृति मिलने के बाद उन्हें, मामले के मुताबिक उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की पूर्ण पीठ के समक्ष रखा जाएगा। पीठ गोपनीय मतदान के जरिए बहुमत से या सर्व सहमति से वकील को वरिष्ठ का दर्जा देने पर फैसला लेगी।

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