वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने, चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के कारनामों का किया खुलासा
January 13, 2018
नई दिल्ली, वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय के चारों शीर्ष न्यायाधीशों की ओर से प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की सार्वजनिक तौर पर आलोचना करने की सराहना की और कहा कि इनलोगों ने पत्र के जरिए लोगों को सत्ता के घोर दुरुपयोग के प्रति आगाह किया है।
सुप्रीम कोर्ट के जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद प्रशांत भूषण ने एक घटना के जरिए जजों के बीच असंतोष की जानकारी दी. उन्होंने इसके लिए प्रसाद मेडिकल कॉलेज के मामले का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि कुछ जज खुद को शहंशाह समझने लगे हैं, वे आजकल किसी भी सवाल का जवाब देना उचित नहीं समझते.
प्रशांत ने कहा कि जिस तरह प्रसाद मेडिकल कॉलेज मामले में जो कुछ मुख्य न्यायाधीश ने किया, वो हतप्रभ कर देने वाला था. उन्होंने ये केस सीनियर जजों से लिया और उससे डील किया. और इसे जूनियर जजों को दे दिया गया. ये गंभीर बात ही नहीं थी बल्कि कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन भी था. जिस तरह सीजेआई अपनी ताकत का दुरूपयोग किया, उससे किसी को तो टकराना ही था.
उन्होंने कहा कि जिस तरह ये चारों जज सामने आए ये ऐतिहासिक है तो दुर्भाग्यपूर्ण भी लेकिन ये जरूरी भी था. आखिर ये सवाल तो उठता ही है कि आखिर सीजेआई क्यों सीनियर जजों से केस लेकर जूनियर जजों को दे रहे थे. साफ है कि वो अपनी ताकत से खिलवाड़ ही कर रहे थे. इसके दूरगामी परिणाम होंगे. इन जजों ने अपना संवैधानिक दायित्व निभाया है.
जजों के नाम पर कथित रिश्वतखोरी के मामले की सुनवाई के दौरान भी बीते 10 नवंबर को प्रशांत और सीजेआई में तीखी बहस हो गई थी. सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने 2 जजों की बेंच के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें मामले की सुनवाई के लिए बड़ी बेंच बनाने को कहा गया था. आदेश में कहा गया कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को ही सुप्रीम कोर्ट में काम बांटने का अधिकार है.
मामले पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस मिश्रा ने सख्त टिप्पणी में कहा था कि इस आदेश (संविधान पीठ) के खिलाफ दिया गया कोई भी आदेश जरूरी नहीं रहेगा और इसे रद्द समझा जाएगा. इस पर भूषण ने चीफ जस्टिस को ही इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग करने के लिए कहा क्योंकि उनके मुताबिक मामले की एफआईआर में कथित तौर पर सीजेआई का नाम भी शामिल किया गया है.
इस पर जस्टिस मिश्रा गुस्सा हो गए थे और उन्होंने कहा कि मेरे खिलाफ निराधार आरोप लगाने के बावजूद हम आपको रियायत दे रहे हैं और आप उससे इनकार नहीं कर सकते. उन्होंने आगे कहा कि मेरे खिलाफ कौन सी एफआईआर, यह बकवास है, एफआईआर में मुझे नामजद करने वाला एक भी शब्द नहीं है. इसके बाद भूषण को कोर्ट की अवमानना के लिए जिम्मेदार भी बताया गया था. इसके बाद प्रशांत भूषण ने आरोपों का जवाब देने की अनुमति मांगी लेकिन कोर्ट द्वारा इनकार किए जाने पर वो सुनवाई बीच में ही छोड़कर चले गए थे. अदालत कक्ष से निकलने के दौरान भूषण के साथ कथित तौर पर धक्का-मुक्की भी की गई थी.