वाराणसी के ‘अपना घर’ आश्रम में निराश्रितों के हाथों से बनी मोमबत्तियों से रोशन होगी दीपावली

वाराणसी, दीपावली का महापर्व नजदीक है। ऐसे में वाराणसी के सामने घाट स्थित अपना घर आश्रम में रह रहे निराश्रित लोग सुगंधित, रंग-बिरंगी मोमबत्तियां तैयार कर आत्मनिर्भरता का संदेश दे रहे हैं। जिन्हें उनके अपनों ने छोड़ दिया या मानसिक स्थिति ठीक न होने के कारण जो समाज से कट गए, वे अब दीपावली के प्रकाश पर्व में लोगों की खुशियों के लिए मोमबत्तियां बनाकर समाज में मिसाल कायम कर रहे हैं।
आश्रम में रह रहे निराश्रित लोगों को ‘प्रभुजी’ कहकर पुकारा जाता है। डॉ. कुमार निरंजन और उनकी पत्नी डॉ. कात्यायनी ने 2018 में इस सेवा का बीड़ा उठाया था। उनके द्वारा संचालित आश्रम में सड़कों पर भटकने वाले बेसहारा, बीमार और निराश्रित लोगों को सम्मानजनक जीवन प्रदान किया जा रहा है।
डॉ. निरंजन ने बताया कि वर्तमान में आश्रम में 624 प्रभुजी रह रहे हैं, जिनमें 200 से अधिक महिलाएं शामिल हैं। मोमबत्ती बनाने के कार्य में 30 से ज्यादा लोग लगे हैं। कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र के माध्यम से इन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इसके अलावा, आश्रम में कागज के थैले भी बनाए जाते हैं। बहुत से लोग मोमबत्तियां खरीद कर ले जाते है। जो पैसा आता वो प्रभुजनों के पास ही जाता।
विशेष बात यह है कि 2018 से अब तक 228 प्रभुजनों ने देहदान किया है, जो मेडिकल छात्रों को मानव शरीर रचना विज्ञान के अध्ययन में मदद करता है। देहदान की प्रक्रिया प्रभुजनों की सहमति और पूर्ण कानूनी प्रक्रिया के बाद ही पूरी की जाती है। यह कार्य प्रशासनिक सहयोग से किया जाता है। चूंकि इन लोगों की जाति या धर्म की जानकारी उपलब्ध नहीं होती, इसलिए शवों को जलाया या दफनाया नहीं जाता, बल्कि मेडिकल कॉलेजों को देहदान किया जाता है।