वाराणसी, अपने खांटी फक्कड़ मौजमस्तीपूर्ण जीवन शैली के लिए मशहूर जीवंत शहर बनारस में लोग हर समय हसीं मजाक के बहाने ढ़ूढ़ लेने में माहिर होते हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव का होना उनके लिए हास्य रस के गंगा में कुम्भ स्नान जैसा है।
शहर में दक्षिणी विधानसभा सीट लोगों में खासा आकर्षण के साथ हास्य की बनारसी परम्परा की सबब भी बन गई है। शुक्रवार को बनारस की मशहूर अड़ी अस्सी-गोदौलिया-दशाश्वमेध स्थित प्रसिद्ध चाय पान की दुकानों पर खासी चर्चा रही कि शहर दक्षिणी में बड़े गुरू (कांग्रेस-सपा गठबन्धन के सम्भावित प्रत्याशी पूर्व सांसद डॉ. राजेश मिश्र) और छोटे गुरू (भाजपा के डॉ. नीलकंठ तिवारी) के बीच दिलचस्प मुकाबला होगा। मौजूद लोगों का तर्क भी चुटीला रहा कि इस मुकाबले में कौन जीतेगा और कौन दक्खिन (हार जायेगा) होगा। उनका दावा था कि इस मुकाबले में ब्राम्हण वोटों के लिए भी संकट है कि किसके साथ रहे।
दरअसल दोनों प्रत्याशी देवरिया जिले के हैं और छात्र राजनीति पृष्ठभूमि के भी। बड़े गुरू बीएचयू के छात्रसंघ उपाध्यक्ष रहे हैं तो छोटे गुरू हरिश्चन्द्र महाविद्यालय के छात्रसंघ महामंत्री। दोनों के शहर दक्षिणी में युवाओं और अधेड़ों के बीच अच्छी पैठ है और दोनों अपने मित्रों से हंसी मजाक के लिए अच्छी पहचान रखते हैं। इस सम्बन्ध में नगर के युवा कवि डॉ. जयशंकर जय ने कहा कि दोनो गुरूओं के बीच दिलचस्प मुकाबला होगा। बड़े गुरू – छोटे गुरू, भाजपा-कांग्रेस के गुरू, शहर दक्षिणी में जंग मचाएंगे लगता है बड़े गुरू साइकिल चलाएंगे और छोटे गुरू दक्खिन लग जाएंगे। कविता सुना हास्य कवि ने अपने अंदाज में जनता का रूझान भी बता दिया। इस सम्बन्ध में जिला युवा कांग्रेस के समन्वयक राघवेन्द्र चौबे (यहां टिकट के कांग्रेस से सम्भावित दावेदार) ने ताल ठोक कहा कि बड़े गुरू ही बड़ा साबित होंगे।