मेरठ, यूपी के विधानसभा चुनावों को नजदीक देखकर राजनीतिक दलों ने गन्ने के मुद्दे को हवा देनी शुरू कर दी है। बकाया गन्ना भुगतान को मुद्दा बनाकर भाजपा और रालोद ने आंदोलन का बिगुल बजा दिया। इस राजनीतिक दंगल का अखाड़ा फिलहाल बागपत बना है। जल्दी इसे पूरे वेस्ट यूपी में शुरू किया जाएगा। भाकियू भी इस दंगल में कूद पड़ी है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक समय गन्ना राजनीति बड़ा मुद्दा हुआ करती थी। भारतीय किसान यूनियन के मुखिया रहे महेंद्र सिंह टिकैत के जीवित रहते हर राजनीतिक दल गन्ने का मुद्दा उठाते रहे। अस्सी और नब्बे के दशक में महेंद्र सिंह टिकैत ने अपने आंदोलनों के जरिए पूरे देश की सियासत को हिलाकर रख दिया था। करमूखेड़ी आंदोलन, मेरठ कमिश्नरी आंदोलन समेत तमाम आंदोलनों में भाकियू ने प्रदेश और केंद्र सरकारों की नींद उड़ा दी थी। प्रदेश के मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह को खुद चलकर टिकैत के गांव सिसौली आना पड़ा था। समय बीतते-बीतते भाकियू की ताकत कमजोर पड़ती गई और टिकैत के निधन के बाद तो भाकियू की ताकत एक तरह से खो ही गई। इससे किसानों की मांगों को उठाने वाली एक बड़ी आवाज खत्म हो गई और गन्ना आंदोलन नेतृत्व विहीन हो गया।
चीनी मिलों की पैरवी में जुटे दल कई सालों से किसान अपने बकाया गन्ना भुगतान को लेकर लड़ रहे हैं, लेकिन राजनीतिक दलों में एक तरह से चीनी मिलों की पैरवी करने की होड़ मची है। केवल नाममात्र के लिए ही चीनी मिल चलने के समय ही राजनीतिक दल आंदोलन की रस्म अदायगी करते हैं। इसके बाद सब कुछ किसानों को ही भुगतना पड़ता है। 2014 के लोकसभा चुनावों में अपनी खोई ताकत को पाने के लिए रालोद ने फिर से बागपत में मलकपुर चीनी मिल को मुद्दा बनाकर आंदोलन छेड़ा। मोदी ग्रुप की मलकपुर चीनी मिल पर किसानों का पिछले सत्र का 244 करोड़ रुपए बकाया है और चीनी मिल ने पैरवी भी शुरू नहीं की। इस पर रालोद ने बड़ौत तहसील में तो भाजपा ने बागपत कलक्ट्रेट में धरना शुरू किया।
चला आरोप-प्रत्यारोप का दौर भाजपा सांसद डाॅ. सत्यपाल सिंह ने तो मलकपुर चीनी मिल में सीधे तौर पर रालोद नेता अजित सिंह की हिस्सेदारी का आरोप लगाया तो छपरौली नगर पालिका चेयरमैन व हाल में रालोद छोड़कर भाजपा नेता बने संजीव खोखर ने अजित के बेटे जयंत चौधरी पर मिल मालिक से 20 करोड़ लेने का आरोप लगाया। इससे रालोदिए भड़क उठे और कई दिन आंदोलन चलाया। बहरहाल चीनी मिल ने किसानों को तो भुगतान नहीं किया, लेकिन पेराई शुरू करके भाजपा व रालोद का आंदोलन खत्म करवा दिया। सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी की सरकार पर भाजपा नेता चीनी मिल मालिकों को शह देने का आरोप लगाते आ रहे हैं। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने आरोप लगाया कि चीनी मिलों का ब्याज माफ करके सपा सरकार ने उन्हें शह दी है। जिससे वह किसानों का शोषण कर रही है।
प्रदेश उपाध्यक्ष अश्विनी त्यागी का कहना है कि प्रदेश में सरकार बनते ही किसानों का भुगतान कराया जाएगा। चीनी मिलों की मनमानी नहीं चलने दी जाएगी। किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय संयोजक व पूर्व विधायक वीएम सिंह गन्ना किसानों की लड़ाई लंबे समय से हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लड़ रहे हैं। वह कई बार किसानों के पक्ष में बकाया गन्ना भुगतान के आदेश करवा चुके हैं। इसके बाद भी सरकार किसानों का बकाया भुगतान नहीं करवा पा रही है। वीएम सिंह का कहना है कि प्रदेश सरकार की शह के चलते ही चीनी मिल उनका शोषण करती आ रही है। वह लगातार इस मुद्दे की लड़ाई लड़ रहे हैं।