विधानसभा में विपक्ष की एसआईआर पर चर्चा की मांग को सरकार ने किया खारिज

लखनऊ,  उत्तर प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को विपक्ष ने विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर चर्चा कराने की मांग की लेकिन सरकार ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि एसआईआर का काम चुनाव आयोग की तरफ से किया जा रहा है इस पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है इसलिए इस मांग को ग्राह्य (स्वीकार) नहीं किया जा सकता है।

बीएलओ की मौतों को लेकर उठे सवालों पर सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने जवाब दिया। श्री खन्ना ने एसआईआर के मुद्दे पर चर्चा के दौरान विपक्ष के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि जिन परिवारों ने अपने प्रियजनों को खोया है, वह अत्यंत दुखद है और सरकार इस पीड़ा को समझती है।

उन्होने कहा कि इन मौतों की जांच कराई जाएगी कि किन परिस्थितियों में घटनाएं हुईं। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि चुनाव संबंधी कार्यों के मामले में सरकार की भूमिका सीमित है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग इस विषय पर मौन है और सरकार आयोग की प्रतिनिधि नहीं है। चुनाव आयोग पर सरकार का कोई प्रत्यक्ष सुपरविजन नहीं होता।

संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (पीपुल्स रिप्रेजेंटेशन एक्ट) के तहत सभी सरकारी कर्मचारी चुनाव के दौरान चुनाव आयोग के डेपुटेशन पर होते हैं और यह पूरा मामला चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में आता है। उन्होंने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि “दर्द घुटने का है और इलाज दांत का किया जा रहा है,” यानी जिस संस्था की जिम्मेदारी है, उस पर सवाल नहीं उठाए जा रहे हैं।

श्री खन्ना ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी सरकारी कर्मचारी की मृत्यु की स्थिति में राज्य सरकार अपने नियमों के अनुसार मृतक के परिजनों को सभी अनुमन्य लाभ प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार मानवीय आधार पर पीड़ित परिवारों के साथ खड़ी है, लेकिन चुनावी प्रक्रिया से जुड़े निर्णय और जिम्मेदारी चुनाव आयोग की ही है।

गौरतलब है कि कांग्रेस की नेता आराधना मिश्रा ने नियम–56 के अंतर्गत सदन में यह मामला उठाया और एसआईआर पर चर्चा कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि एसआईआर के दौरान मृतक बीएलओ के परिवार को 50 लाख रुपये मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए।

Related Articles

Back to top button