कौशांबी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने लगातार तीसरी बार विनोद सोनकर पर भरोसा कर 2024 लोकसभा चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है।
2014 और 2019 लोकसभा चुनाव की अपेक्षा 2024 संसदीय चुनाव में विनोद सोनकर को कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। 1980 में भाजपा के अस्तित्व में आने के बाद पहली बार 1996 अमृत लाल भारतीय ने चायल संसदीय क्षेत्र अपनी जीत दर्ज करा कर कमल खिलाया था। अल्प अवधि में 1998 में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने दूसरी बार अमृतलाल भारतीय को फिर से अपना उम्मीदवार बनाया लेकिन इस बार वह समाजवादी पार्टी के शैलेंद्र कुमार से पराजित हो गए।
2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी बिल्कुल नए राजनीतिक खिलाड़ी विनोद सोनकर को कौशांबी संसदीय क्षेत्र से चुनावी जंग में उतारा। इस चुनाव में विनोद सोनकर पहली बार अपने जीत दर्ज कराते हुए कौशांबी में फिर से कमल खिलाने का काम किया। 2019 के संसदीय चुनाव में दोबारा विनोद सोनकर भाजपा प्रत्याशी के रूप में अपनी किस्मत आजमाइश किया और सपा के इंद्रजीत सरोज को पराजित कर दोबारा भगवा लहरा दिया। बहुत ही मंथन के बाद भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने तीसरी बार विनोद सोनकर पर भरोसा करते हुए 2024 के संसदीय चुनाव में कौशांबी सीट से चुनाव मैदान में उतारा है।
गौरतलब है कि 2022 में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में संसदीय क्षेत्र कौशांबी की पांच विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी पराजित हो गए थे। स्वयं सूबे के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य कौशांबी सिराथू विधानसभा क्षेत्र में सपा की पल्लवी पटेल से चुनाव हार गए थे। कौशांबी संसदीय क्षेत्र मे कौशांबी की तीन विधानसभा सीट चायल, मंझनपुर, सिराथू और प्रतापगढ़ की कुंडा और बाबागंज विधानसभा शामिल है।
विनोद सोनकर को इस चुनाव में भाजपा के ही अपने विरोधियों से जूझना पड़ सकता है कुंडा बाबागंज क्षेत्र बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के प्रभाव क्षेत्र में आती है। राजा फैक्टर से विनोद सोनकर कैसे पार पाएंगे। इसके अलावा कौशांबी के किसानो की समस्याओं, नहरों में पानी का न आना ,हर स्तर पर आम आदमी को न्याय मिलने में की गई उपेक्षा, अमरूद के उजड़ते बाग, एक जनपद एक उत्पाद के मामले में यहां का आम मतदाता विनोद सोनकर से सवाल करने का हक रखता है। अब देखना यह है कि विनोद सोनकर यहां के मतदाताओं के बीच अपने आप को किस तरह से खरा साबित कर पाएंगे।