संसद ने आधार विधेयक पारित कर दिया है। लोकसभा ने राज्यसभा द्वारा किए गए संशोधन नामंजूर कर दिए हैं। इससे पहले राज्यसभा ने विधेयक को पांच संशोधनों के साथ लोकसभा को लौटा दिया। कांग्रेस के जयराम रमेश द्वारा लाए गए इन संशोधनों में आधार को स्वैच्छिक बनाना और सब्सिडी के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए इसका इस्तेमाल न किया जाना शामिल है। तृणमूल कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी और बीजू जनता दल के सदस्य, वित्त मंत्री द्वारा उनके सुझाव स्वीकार नहीं किए जाने के विरोध में सदन से बाहर चले गए। इससे पहले, इस विधेयक के, धन विधेयक होने या न होने को लेकर सदन में तीखी नोंझोक हुई। विपक्ष ने इसे धन विधेयक में तबदील करने की प्रासंगिकता पर सवाल उठाया।
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने स्पष्ट किया कि चूंकि सब्सिडी के लिए दी जाने वाली राशि समेकित कोष से दी जानी है इसलिए यह धन विधेयक है। उन्होंने कहा कि इसे यू पी ए सरकार द्वारा तैयार किए गए मसौदे में सुधार कर लाया गया है और इसमें व्यक्ति की निजता की रक्षा के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने बताया कि व्यक्तिगत जानकारी केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में ही दी जाएगी। उन्होंने मामला न्यायालय के विचाराधीन होने के दौरान संसद में विधेयक लाए जाने की आलोचना को हास्यस्पद बताया।
संविधान के प्रावधानों में राष्ट्रीय सुरक्षा को अभिव्यक्ति की आजादी समेत मूलभूत अधिकारों पर जरूरी प्रतिबंधों से ऊपर माना गया है। किसी भी व्यक्ति के अधिकार हमेशा कुछ प्रतिबंधो के अंतर्गत आते हैं और इसलिए मैंने यह कहा है कि निजता व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला है और इसे कानूनी प्रक्रियाओं के द्वारा सीमित किया जा सकता है जो कि निष्पक्ष और जायज होना चाहिए।
श्री रमेश ने कहा कि विधेयक में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के अधिकारों को स्पष्ट किया जाना चाहिए और इसके दुरूपयोग की कोई गुंजाइश नहीं छोडी जानी चाहिए। उन्होंने इसे राज्यसभा की प्रवर समिति को भेजने की मांग भी की।
गौरतलब है कि इस विधेयक को लोकसभा अध्यक्ष ने धन विधेयक के रूप में मान्यता दे दी थी और सदन में इसे पारित भी किया जा चुका है।