लखनऊ, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कहा कि नैक श्रेणी में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए व्यवस्थाओं की प्रगति का विश्लेषण कमेटियों के साथ करें और विश्वविद्यायल में दिव्यांग बच्चों के खेलकूद की उत्कृष्ट व्यवस्था की जाये।
श्रीमती पटेल ने आज यहां राजभवन में डॉ. शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुर्नावास विश्वविद्यालय, लखनऊ के नैक के लिए स्व मूल्यांकन की तैयारियों के प्रस्तुतिकरण का अवलोकन किया।
इस मौके पर राज्यपाल ने कहा कि नैक श्रेणी में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए व्यवस्थाओं की प्रगति का विश्लेषण कमेटियों के साथ करें। उत्तरदायी कमेटियों में कार्यों को विभाजित करके कार्य प्रगति की समीक्षा की जाये, जिससे तीव्र गति से कार्य सम्पन्न हो सके। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रत्येक वर्ष की गतिविधियों के आकड़ों को संकलित करें। उचित होगा कि इस कार्य के लिए विश्वविद्यालय द्वारा नैक मूल्यांकन समिति प्रतिवर्ष डाटा संकलन करे।
उन्होंने कहा कि प्रस्तुतिकरण इस प्रकार करें कि जो कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक उपलब्धियों को प्रदर्शित कर सके। राज्यपाल जी ने सुझाव दिया कि जिन विश्वविद्यालयों का नैक प्रस्तुतिकरण बहुत अच्छा रहा है, उनसे सम्पर्क कर उनका अनुभव साझा करें तद्नुसार नैक प्रस्तुतिकरण की तैयारी करें।
श्रीमती पटेल ने प्रस्तुतिकरण के दौरान न केवल नैक मानकों के अनुरूप विश्वविद्यालय की व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के सुझाव दिए, अपितु उन्हें जनहित में संचालित कराने के लिए भी कहा। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम निर्धारण के समय विद्यार्थियों के विचार को भी जानें तथा दिव्यांग विद्यार्थियों की स्किल को ध्यान में रखकर उद्यमिता विकास तथा वोकेशनल कोर्स जैसे विषयों को प्राथमिकता से शामिल करें तथा प्रत्येक वर्ष विषयों में आवश्यकतानुसार मूलभूत परिवर्तन भी करते रहें। इसके साथ ही विश्वविद्यालय परिसर से बाहर निकलकर प्रयोगात्मक क्रिया-कलापों को बढ़ावा दें।
राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय में निर्धारित प्रवेश के लिए सभी दिव्यांग सीटों पर अनिवार्य रूप से प्रवेश लिया जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि इस कार्य हेतु सभी दिव्यांग विद्यालयों तथा इस क्षेत्र में कार्य कर रही विभिन्न समाज सेवी संस्थाओं तथा जिला दिव्यांग अधिकारियों से सम्पर्क करें। प्रवेश के लिए दिव्यांग बच्चों को प्रोत्साहित करें, इस दिशा में एक निर्धारित कार्य योजना बनाएं ताकि अधिक से अधिक दिव्यांग बच्चों का प्रवेश हो सके।
उन्होंने कहा कि दिव्यांग बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए जिला प्रशासन के सहयोग से विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों को किया जाये तथा प्रमाण-पत्र एवं पुरस्कार देकर उन बच्चों को सम्मानित भी करें। उन्होंने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय के माध्यम से अलग-अलग प्रकार के प्रोजेक्ट तैयार कर औद्योगिक प्रतिष्ठानों से ग्राण्ट लेने का प्रयास किया जाना चाहिए तथा संस्थान द्वारा किये जा रहे विभिन्न उत्कृष्ट कार्यों को प्रचारित भी किया जाये ताकि लोगों को इसके बारे में जानकारी हो सके। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के पुराने छात्रों का सम्मेलन करायें। उनके अनुभवों से विश्वविद्यालय के बच्चों का परिचय करायें ताकि अनुभवों का लाभ छात्रों को मिल सके।
राज्यपाल ने कहा सभी शिक्षकों के मन में यह भाव होना चाहिए कि यह विश्वविद्यालय विशेष बच्चों के लिये है। इसलिए हमें उनके लिए विशेष रूप से कार्य करना है।
उन्होंने बताया कि पैरा ओलम्पिक में दिव्यांग बच्चों ने द्वारा उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, चूंकि यह विश्वविद्यालय विशेष रूप से दिव्यांग बच्चों को समर्पित है। इसलिए विश्वविद्यायल में बच्चों के खेलकूद की उत्कृष्ट व्यवस्था की जानी चाहिए और जहां पर आवश्यकता है वहां पर कोच की भी व्यवस्था करें। उन्होंने कहा कि दिव्यांग बच्चों के लिए विश्वविद्यालय में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी तथा परीक्षाओं के सम्बन्ध में सम्पूर्ण जानकारी भी दी जाय। इसके साथ ही दिव्यांग बच्चों की समस्याओं का भी त्वरित निस्तारण होना चाहिए। अध्यापक विद्यार्थी की संतुष्टि पर विशेष बल दें।
प्रस्तुतिकरण के दौरान बैठक में अपर मुख्य सचिव राज्यपाल महेश कुमार गुप्ता, विशेष कार्याधिकारी (शिक्षा) डा0 पंकज जॉनी, डॉ. शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ के कुलपति प्रो0 राणा कृष्णा पाल सिंह, रजिस्ट्रार अमित कुमार, डा0 संजू गुप्ता, डा0 कल्याणी, शिवपाल यादव सहित अन्य अधिकारीगण भी उपस्थित थे।