नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि तकनीक के युग में मीडिया के लिए विश्वसनीयता सबसे बड़ी चुनौती है और मीडिया प्रतिष्ठानों के लिए इसे बनाए रखना जरूरी है। एक मीडिया ग्रुप द्वारा आयोजित रामनाथ गोयनका एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म अवार्डस समारोह में पुरस्कार वितरण के बाद मोदी ने कहा कि पहले निश्चित प्रशिक्षण एवं योग्यता के साथ लोग पत्रकारिता में आते थे लेकिन अब मोबाइल फोन से कोई भी तस्वीर लेकर उसे अपलोड कर सकता है। उन्होंने कहा, लोगों के पास अब बहुत सारी खबरें आती हैं। इस संदर्भ में विश्वसनीयता बनाए रखना एक बड़ा मुद्दा है और इस समय की सबसे बड़ी मांग है। मोदी ने हल्के फुल्के अंदाज में कहा कि जहां मीडिया के पास हर चीज और हर किसी के ऊपर टिप्पणी करने की पूरी स्वतंत्रता है, वहीं उसे खुद को लेकर दूसरों के रूख पसंद नहीं आते। उन्होंने कहा कि वह आजादी के बाद से मीडिया में इतनी चर्चा पाने वाले एकमात्र विशेषाधिकार प्राप्त नेता हैं और वह इसके लिए हमेशा मीडिया के आभारी रहेंगे।
मोदी ने मीडिया के सामने दो मुद्दे निर्धारित करते हुए कहा कि उन्हें मीडिया द्वारा सरकार की आलोचना से दिक्कत नहीं है लेकिन खबर देने में कोई गलती नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एकता प्राथमिकता होनी चाहिए क्योंकि भारत विविधता से भरा हुआ देश है। प्रधानमंत्री ने कहा, आपके लिए किसी भी तरह का समझौता खबर है और आप अगली खबर की तरफ बढ़ जाते हैं लेकिन इस तरह के समझौते से पीछे गहरे घाव रह जाते हैं। हम नेता भले ही आपसे ज्यादा गलतियां करते हों लेकिन कृपया राष्ट्रीय एकता की ताकतों को मजबूत करें। मोदी ने साथ ही दुनियाभर में देश के विचारों के मजबूती से प्रसार की खातिर एक विश्वस्तरीय भारतीय मीडिया संगठन के निर्माण का आह्वान किया और पर्यावरण एवं ग्लोबल वार्मिंग पर मौजूदा बहस का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह का संगठन सरकार से जुड़ा नहीं होना चाहिए। मोदी ने कहा कि सभी बड़े देश वैश्विक स्तर पर एक मजबूत मीडिया आवाज के निर्माण की दिशा में काम कर रहे हैं और भारत के लिए यह एक अवसर और साथ ही एक चुनौती भी है। प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया के विभिन्न क्षेत्रों में पत्रकारों को पुरस्कार दिया गया।
मीडिया ग्रुप के प्रमुख एवं प्रबंध निदेशक विवेक गोयनका ने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि इन पुरस्कारों के अलावा समूह प्रशासन पर एक सकारात्मक असर डालने के लिए जिला स्तर के अधिकारियों को एक नया पुरस्कार भी देगा। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने आपातकाल के दौरान रामनाथ गोयनका की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि आपातकल लोकतंत्र के सामने आने वाले खतरों को समझने के लिए लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है। उन्होंने कहा कि सभी पीढ़ियों में लगातार आपातकाल के दौर पर चिंतन मनन किया जाना चाहिए ताकि ऐसा कोई नेता पैदा ना हो जो इस तरह का पाप करने के बारे में सोचे।
प्रधानमंत्री ने कहा, भारत में आपातकाल का दौर महत्वपूर्ण है। जब हम आपातकाल की बात करते हैं, कुछ लोगों को बुरा लगता है। इसे राजनीतिक रूप से देखा जाता है। राजनीति का वह (मुद्दे के राजनीतिकरण का) दौर खत्म हो चुका है। उन्होंने कहा कि आपातकाल का दौर उनकी बिरादरी (राजनीतिक वर्ग) को सतर्क बनाए रखने के लिहाज से भी उपयोगी है। मोदी ने कहा कि आपातकाल के दौरान ऐसे कुछ ही लोग उभरे जिन्होंने व्यवस्था को चुनौती दी। उन्होंने कहा, रामनाथ गोयनका और उनके अखबार ने निडर होकर ऐसा किया।
अखबार के मुख्य संपादक राजकमल झा ने अपने धन्यवाद ज्ञापन में प्रधानमंत्री की इस बात से सहमति जतायी कि मीडिया को विश्वसनीयता के मुद्दे पर आत्मविश्लेषण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को इसके लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता। झा ने कहा कि मीडिया को अपने अंदर झांककर देखना होगा। हालांकि उन्होंने कहा कि सरकार की आलोचना करना पत्रकारों के लिए सम्मान की बात है। वे लोग जो यह कहते हैं कि पत्रकारिता मर रही है, उनके लिए झा ने कहा कि यह बेहतर ही हो रही है लेकिन बुरी पत्रकारिता और हंगामेदार हो रही है।