अब उत्तर प्रदेश में औद्योगिक, संस्थागत व व्यावसायिक संपत्तियों की रजिस्ट्री कराने वालों को बड़ी राहत मिलेगी।
वहीं आवासीय संपत्ति की रजिस्ट्री कराना अब उत्तर प्रदेश में महंगा होगा। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है।
बैठक में रजिस्ट्रेशन अधिनियम के तहत अधिकतम रजिस्ट्रीकरण फीस को 10 हजार से बढ़ाकर 20 हजार कर दिया गया है। साथ ही पावर आफ अटार्नी आदि के मामले में भी फीस को दो से पांच गुना तक करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिल गई है। इसमें व्यावसायिक संपत्तियों के मूल्यांकन की प्रक्रिया में बदलाव के लिए संपत्ति मूल्यांकन नियमावली में संशोधन संबंधी प्रस्ताव पर भी कैबिनेट की मुहर लगी। ऐसे में व्यावसायिक संपत्तियों की रजिस्ट्री के लिए प्रापर्टी के किराए का 300 गुना के आधार पर स्टाम्प ड्यूटी देने के बजाय सर्किल रेट पर जमीन और निर्माण लागत के आधार पर ही स्टाम्प ड्यूटी देनी होगी। इससे औद्योगिक, संस्थागत व व्यावसायिक संपत्तियों की रजिस्ट्री कराने वालों को बड़ी राहत मिलेगी क्योंकि एक तरफ जहां कम स्टाम्प ड्यूटी देनी होगी वहीं इनकम टैक्स भी घटेगा। सरकार का मानना है कि इससे व्यावसायिक संपत्तियों की रजिस्ट्री में इजाफा होने से उसे कहीं ज्यादा स्टाम्प राजस्व हासिल होगा।