नई दिल्ली, केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने युद्ध के बाद पाकिस्तान और चीन चले गए लोगों की संपत्तियों के उत्तराधिकार या हस्तांतरण के दावों के खिलाफ 50 साल पुराने कानून की रक्षा के लिए इसमें संशोधन हेतु पांचवीं बार अध्यादेश जारी करने के प्रस्ताव को आज मंजूरी दे दी। इस अध्यादेश को अब संस्तुति के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सूत्रों ने बताया कि चूंकि नोटबंदी के मसले पर बार बार संसद की कार्यवाही स्थगित होने की वजह से इससे संबंधित विधेयक पारित नहीं किया जा सका, इसलिए इस अध्यादेश को फिर से जारी करने की आवश्यकता हुयी। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, विधेयक राज्यसभा की प्रवर समिति के पास भेजा गया क्योंकि कांग्रेस ने इसके लिए दबाव बनाया था। हम सहमत हुए और समिति की अनुशंसाओं को इसमे शामिल कर लिया, लेकिन इसके बावजूद विधेयक को नहीं पारित होने दिया गया। युद्ध के बाद पाकिस्तान और चीन चले गए लोगों की संपत्तियों के उत्तराधिकार या हस्तांतरण के दावों के खिलाफ करीब पांच दशक पुराने शत्रु संपत्ति कानून की रक्षा के लिये इसमें संशोधन का कदम उठाया गया है। शत्रु संपत्ति ऐसी कोई भी संपत्ति है जो किसी शत्रु या शत्रु कंपनी की है या उसके द्वारा संपत्ति का प्रबंधन किया जा रहा है। सरकार ने इन संपत्तियों को केन्द्र सरकार के तहत स्थापित भारत के शस्त्रु संपत्ति के कस्टोडियन के कब्जे में सौंप रखा हैं। भारत पाकिस्तान के बीच 1965 में हुये युद्ध के बाद 1968 में शत्रु संपत्ति कानून बनाया गया था।