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शरीर को स्वस्थ रखने में काफी योगदान रखती है मालिश

spaशरीर को स्वस्थ रखने के लिए जिस तरह संतुलित आहार व योगासन आवश्यक है, उसी तरह मालिश भी शरीर को स्वस्थ रखने में काफी योगदान रखती है। मालिश से शरीर पुष्ट तो होता ही है, मांसपेशियों को भी नवजीवन मिलता है। यही कारण है कि जन्म के बाद से ही शिशुओं की व प्रसव के बाद कुछ दिनों तक स्त्रियों की मालिश की जाती है। मालिश के द्वारा शरीर को सीधे ही खुराक पहुंचती है। कमजोर व्यक्ति के लिए तो मालिश रामबाण दवा है, वहीं मोटापे से ग्रसित व्यक्ति भी यदि हर रोज मालिश करवाए तो उसकी चर्बी घटने लगती है।

मालिश के लाभ…

  • 1. मालिश से रक्त संचार ठीक से होता है, जिससे शरीर के विकार बाहर निकल जाते है।
  • 2. मालिश से त्वचा हृष्ट-पुष्ट तो होती है, मांसपेशियों की टोनिंग भी हो जाती है।
  • 3. मालिश शरीर के जोड़ों को लचीला बनाती है व विभिन्न अंगों की क्रियाओं में सुधार लाती है।
  • 4. मालिश से पाचन संस्थान के अंगों जैसे यकृत, अमाशय व छोटी आंत आदि को उत्तेजना मिलती है, जिससे ये अंग अपना काम सुचारु रूप से कर पाते है।
  • 5. मालिश से नाड़ी संस्थान को उत्तेजना मिलती है, जिससे शरीर की अन्य क्रियाओं का संचालन भी भली-भांति होता है।
  • 6. मालिश से शरीर के विकार निकालने वाले अंगों जैसे फेफड़े, बड़ी आंत, गुर्दे, त्वचा आदि को भी बल मिलता है। इससे विकार शरीर में संचित नहीं होने पाते और तेजी से बाहर निकलते है।
  • 7. शरीर के अनेकों रोगों जैसे गठिया, बच्चों का लकवा, मांसपेशियों से संबंधित रोग, स्नायु रोग, तपेदिक, सिर दर्द, मोच आदि में मालिश से बहुत लाभ होता है, बशर्ते कि ये मालिश किसी जानकर व्यक्ति से करवाई जाए।
  • 8. मालिश चर्बी को गलाने में भी सहायक होती है।
  • 9. मालिश से त्वचा के रोमकूप विकसित होते है।
  • 10. मालिश से मांसपेशियां सुगठित व सुदृढ़ हो जाती है, जिससे शरीर में लचीलापन व चुस्ती-फुर्ती बढ़ जाती है।
  • 11. कई बार पुराने रोगों को ठीक करने में मालिश का सहारा लिया जाता है। मालिश शरीर के तनाव को दूर रिलैक्स करती है।
  • 12. मालिश से शारीरिक गठन में मजबूती आती है और शरीर का विकास अच्छी तरह होता है।
  • 13. अधिक कमजोर व्यक्ति या जो व्यायाम नहीं कर सकते, उन्हे मालिश के द्वारा स्वास्थ्य लाभ पहुंचाया जा सकता है। क्योंकि जिस तरह व्यायाम के द्वारा रक्तसंचार तेज होकर विकार दूर हो जाते है, उसी तरह मालिश भी यही लाभ पहुंचाती है।

मालिश के प्रकार…

1. तेल मालिश,

2. सूखी मालिश,

3. ठंडी मालिश,

4. पाउडर से मालिश

  • 5. एरोमाथेरेपी मालिश।
  • 1. कमजोर व दुबले-पतले व्यक्तियों के लिए तेल मालिश ही लाभदायक रहती है।
  • 2. चर्बी गलाने या मोटापा घटाने में सूखी मालिश व ठंडी मालिश से अधिक लाभ होता है। जोड़ों के दर्द, पीठ दर्द, टांगों के दर्द, सायटिका व बच्चों के पोलियो आदि में गर्म मालिश लाभदायक है।
  • 3. थकान दूर करने के लिए सूखी मालिश, पाउडर या तेल से मालिश करवानी चाहिए। किसी रोग विशेष में उस अंग की मालिश करने से बहुत लाभ होता है, जैसे ब्रोंकाइटिस में छाती और पीठ की, कब्ज में पेट की, सिरदर्द में सिर की और साइटिका में टांग की मालिश करने से रोगी को विशेष लाभ होता है। तनाव व डिप्रेशन को दूर करने अरोमाथेरेपी से मालिश की जाती है। इसमें विशेष प्रकार के तेलों के एसेंस का प्रयोग किया जाता है जो नस-नाड़ियों की निर्जीवता दूर करके मन- मस्तिष्क को शांति देते है।
  •  मालिश करने के लिए विविध प्रकार के तेलों का प्रयोग किया जाता है। दादी-नानी शुद्ध सरसों के तेल को मालिश के लिए उचित मानती है। यदि मालिश बच्चे की करनी है और उसे सर्दी हो गई है तो सरसों के तेल में थोड़ी सी अजवाइन या एक-दो कली लहसुन तड़का लें। इस गुनगुने तेल से मालिश करने से सर्दी का असर जाता रहता है। आयुर्वेद में मौसम के अनुसार तेल का प्रयोग करने की बात की जाती है।
  • 1. वैसे मालिश के लिए तिल का तेल, जैतून, नारियल, बादाम रोगन व सरसों के तेल का प्रयोग लाभकारी है। तेल का शुद्ध होना जरूरी है। दूसरा यह कि सदैव तेल को थोड़ा गर्म करके ही प्रयोग करे। ऐसा करने से तेल शरीर में अच्छी तरह जज्ब हो जाता है और उचित लाभ मिलता है।
  • 2. एरोमा मसाज थेरेपी में चंदन, लैवेंडर, गुलाब या चमेली आदि के शुद्ध एसेंसियल ऑयल को मालिश करने वाले तेल के साथ मिलाने से तेल में खुशबू व्याप्त हो जाती है। एरोमा मसाज थेरेपी मन-मस्तिष्क को विशेष ताजगी देती है। तनाव को दूर करने के लिए इस तरह के तेल का प्रयोग लाभदायक है।
  • 3. किसी रोग विशेष में मालिश से लाभ उठाने के लिए कुछ जड़ी-बूटियों को तेल के साथ उबाल कर हर्बल तेल तैयार किया जाता है। यह तेल उस रोग को दूर करने में सहायक सिद्ध होता है। चर्बी या सेल्युलाइट को दूर करने के लिए जैतून या तिल के तेल में नीम, अश्वगंधा, देवदारू और चंदन के एसेंशियल ऑयल को मिला कर प्रयोग किया जाता है। इस तेल की मालिश से शरीर से अवांछित व विषाक्त पदार्थ आसानी से बाहर निकल जाते है, जिससे शरीर हलका होने लगता है। इसी तरह अर्थराइटिस जैसे रोगों में भी विशेष जड़ी-बूटी वाले तेल से उस अंग विशेष की मालिश करने से विशेष लाभ होता है।

 

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