लखनऊ, सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की डिजिटल हाजिरी के आदेश को मंगलवार को राज्य सरकार ने अगले आदेश तक स्थगित कर दिया। इस आदेश को लेकर पूरे उत्तर प्रदेश में विरोध प्रदर्शन हुए थे।
मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में शिक्षा विभाग और शिक्षक संगठन की बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में तय किया गया कि एक विशेषज्ञ समिति गठित की जाएगी, जो शिक्षकों की समस्याओं और सुझावों को सुनेगी।
बैठक को संबोधित करते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
उन्होंने कहा, “ शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तनकारी बदलाव की जरूरत है। छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बच्चों को अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराए बिना प्रधानमंत्री के वर्ष 2047 में विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सकता।”
बैठक के दौरान शिक्षकों की समस्याओं और सुझावों को सुनने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्णय लिया गया। यह समिति शिक्षकों की समस्याओं और सुझावों को सुनने के बाद अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। समिति में शिक्षा विभाग के अधिकारी, शिक्षक संघ के सदस्य और शिक्षाविद् शामिल होंगे। यह शिक्षा के सभी पहलुओं पर विचार करेगी और सुधार के लिए सुझाव देगी।
यह निर्णय लिया गया कि डिजिटल उपस्थिति को अगले आदेश तक स्थगित रखा जाएगा। समिति की रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।
बैठक में माध्यमिक शिक्षा के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार, बेसिक शिक्षा के प्रमुख सचिव डॉ शमुग सुंदरम, महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा, उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिनेश चंद्र शर्मा समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
राज्य सरकार ने नए शैक्षिक सत्र से स्कूलों में शिक्षकों की डिजिटल उपस्थिति लागू करने का निर्णय लिया है। इसके चलते शिक्षकों ने प्रदेश भर में आंदोलन किया और यहां तक कि कुछ स्थानों पर शिक्षकों ने अपना विरोध दर्ज कराने के लिए इस्तीफा भी दे दिया।