शिक्षा और विज्ञान का उद्देश्य केवल ज्ञान अर्जन नहीं : आनंदीबेन पटेल

लखनऊ, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने टॉपर छात्रों से कहा है कि उपाधि के साथ एक नए दायित्व का भी संचार होता है और स्नातक केवल व्यक्तिगत सफलता का प्रतीक नहीं, बल्कि समाज और देश के लिए आशा का संदेशवाहक होता है।

उन्होंने कहा कि शिक्षा और विज्ञान का उद्देश्य केवल ज्ञान अर्जन नहीं, बल्कि मानवता की सेवा, नवाचार और राष्ट्र के उत्थान में होना चाहिए। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के 23वें दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि आज उपाधियाँ वितरित की गई हैं, जिनमें 70 प्रतिशत छात्र और 30 प्रतिशत छात्राएँ हैं। लंबे समय के बाद छात्रों की संख्या छात्राओं से अधिक होना यह इंगित करता है कि तकनीकी क्षेत्र में छात्राओं की भागीदारी अपेक्षाकृत कम है। उन्होंने छात्राओं से विशेष रूप से अपील की कि वे भी विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में आगे आएँ और अपनी प्रतिभा से देश का नाम रोशन करें।

इस अवसर पर राज्यपाल ने गगनयात्री शुभांशु शुक्ला को डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि प्रदान करते हुए उन्हें राष्ट्रगौरव और विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया। राज्यपाल ने कहा कि दीक्षांत समारोह किसी भी विश्वविद्यालय का केवल औपचारिक आयोजन नहीं होता, बल्कि यह संस्था की शैक्षणिक यात्रा का उज्ज्वल पड़ाव होता है। यह दिन विश्वविद्यालय के लिए गौरव का और छात्र-छात्राओं के जीवन का अविस्मरणीय क्षण है।

उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल डिग्री प्राप्त करने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि जिम्मेदारी का दीपक है जो प्रत्येक विद्यार्थी के जीवन को आलोकित कर राष्ट्र को रोशन करता है। यह अवसर विद्यार्थियों के लिए आत्ममंथन और संकल्प का है कि वे अपने अर्जित ज्ञान का उपयोग राष्ट्रहित में करें और भारत की गरिमा को वैश्विक पटल पर और प्रखर बनाएँ। कहा कि उनका जीवन दृढ़ संकल्प और ऊँची सोच से लक्ष्य प्राप्त करने का उदाहरण है। उन्होंने कहा कि शुभांशु शुक्ला की उपलब्धियाँ प्रत्येक भारतीय को गर्वित करती हैं और उनकी उपस्थिति नवप्रवेशी स्नातकों के लिए नई ऊर्जा और प्रेरणा का स्रोत है।

राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान युग विज्ञान और प्रौद्योगिकी का युग है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता, रोबोटिक्स, अंतरिक्ष अनुसंधान और बायोटेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में विज्ञान ने नई क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आत्मनिर्भर भारत का संकल्प नवाचार और उद्यमिता से जुड़कर मूर्त रूप ले रहा है। उन्होंने स्टार्टअप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया, अटल इनोवेशन मिशन और मेक इन इंडिया जैसी योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इन पहलों ने युवाओं को अपने विचारों को उपलब्धि में बदलने का अवसर दिया है। साथ ही, पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना के माध्यम से रोजगार और आजीविका के अवसर गाँव-गाँव तक पहुँच रहे हैं।

उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने दो क्रेडिट कोर्स प्रारंभ किए हैं और 100 करोड़ रुपये की इनोवेशन निधि का गठन किया है। साथ ही, पाँच सौ पेटेंट फाइल करने की योजना और जर्मन कंपनी नैमस्चेक के साथ एमओयू विश्वविद्यालय को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय की परीक्षा व्यवस्था में डिजिटल क्रांति का उल्लेख करते हुए कहा कि ऑनलाइन प्रश्नपत्र डिलीवरी से न केवल प्रतिवर्ष 70 लाख रुपये की बचत हो रही है, बल्कि पारदर्शिता और पर्यावरण संरक्षण भी सुनिश्चित हुआ है।

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