नई दिल्ली, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्र निर्माण के लिए शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए शिक्षकों से आव्हान करते हुए कहा कि शिक्षा की नींव कमजोर होने से राष्ट्र का ढांचा और उसकी ईमारत भी कमजोर होगी। मुखर्जी ने सोमवार को यहां विज्ञान भवन में देश के 346 शिक्षकों को शिक्षक दिवस के अवसर पर उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करने के दौरान यह बात कही।
हर साल दिवंगत राष्ट्रपति एवं महान दार्शनिक शिक्षक डॉ राधाकृष्णन की जयन्ती पर होने वाले इस समारोह में मुखर्जी ने कहा कि राष्ट्र का निर्माण ईटों से नहीं होता बल्कि युवकों के मस्तिष्क से ही होता है और एक शिक्षक छात्रों के मस्तिष्क को ही नहीं बल्कि उसके मानस को भी प्रभावित करता है और उस पर असर डालता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की गुरु शिष्य परम्परा विश्व की सभ्यता का सबसे बड़ा योगदान है और गुरु ही छात्रों के चरित्र का निर्माण करते हैं नालंदा विश्वविद्यालय, तक्षशिला विश्वविद्यालय और विक्रमशिला विश्वविद्यालय जैसे शिक्षण संस्थान दुनिया के अग्रणी शैक्षणिक संस्थान रहे हैं और 1800 वर्षों तक हमने शिक्षा की गुणवत्ता को बरकरार रखा है लेकिन सौ से अधिक शैक्षणिक संस्थानों का कुलाध्यक्ष होने के नाते मैंने यह अनुभव किया है कि देश में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधर लाना जरुरी है।
उन्होंने कहा कि जब तक शिक्षा की गुणवत्ता नहीं सुधरेगी तब तक ज्ञान आधारित समाज नहीं बनेगा और बिना इसके राष्ट्र निर्माण भी नहीं होगा। उन्होंने यहाँ भी कहा कि प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा की नींव कमजोर होगी तो देश की ईमारत भी कमजोर होगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता में कमी के कारण ही हर साल देश के 60 हजार छात्र विदेश चले जाते हैं। उन्होंने सम्मानित शिक्षकों को गुरु प्रणाम करते हुए इन शिक्षकों को शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने को भी कहा।