लखनऊ, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि शिवाजी वीर योद्धा के और श्रेष्ठ सेनापति थे। वे स्वराज्य की स्थापना करना चाहते थे। आज जब हमें स्वराज्य प्राप्त है तो यह हमारी जिम्मेदारी है कि स्वराज्य को सुराज में परिवर्तित करने के लिये उनसे प्रेरणा प्राप्त करने का संकल्प लें। नाईक ने शनिवार को लखनऊ विश्वविद्यालय के कर्मचारी सांस्कृतिक एवं क्रीड़ा परिषद द्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज के जन्मोत्सव पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि शिवाजी ने जिस प्रकार अपने शासनकाल में नेतृत्व किया वह अद्भुत है।
शिवाजी की बात पर उनके सेनानी अपनी जान देने को तत्पर रहते थे, जिसकी तानाजी एक मिसाल हैं। उन्होंने शिवाजी की मां की इच्छा का सम्मान करते हुए कोडना किला फतेह किया। इस युद्ध में तानाजी वीरगति को प्राप्त हुए और बाद में किले का नाम सिंहगढ़ रखा गया। पुत्र भी यदि गलती करे तो उसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिये। उन्होंने व्यवहारिक रूप से अपने पुत्र को कारावास देकर स्पष्ट किया। शिवाजी ने राष्ट्रहित में कभी परिवार का मोह नहीं किया।
उन्होंने कहा कि शिवाजी की सेना में अनेक मुस्लिम सेनापति भी थे। नाईक ने कहा कि प्रदेश में इस समय विधानसभा के चुनाव चल रहे हैं। अभी पांच चरणों का मतदान बाकी है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और देश के संविधान में 18 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों को मत देने का अधिकार प्राप्त है। समस्त नागरिकों को अपनी इच्छा के अनुसार योग्य प्रतिनिधि को चुनने का अधिकार है। प्रदेश में 2012 के विधानसभा चुनाव में 59.05 प्रतिशत मतदाताओं ने तथा 2014 के लोकसभा चुनाव में 58.03 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया। इस प्रकार करीब 40 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान में भागीदारी नहीं की। 40 प्रतिशत लोग जिन्होने गत चुनाव में मतदान नहीं किया था उन्हें भी मतदान करने के लिये प्रेरित करें ताकि योग्य प्रतिनिधि एवं योग्य सरकार का चुनाव हो। उन्होंने कहा कि अपने मताधिकार का दायित्व निभाते हुए एवं शत-प्रतिशत वाले मतदान केन्द्र को वह राजभवन में सम्मानित करेंगे। इस अवसर पर राज्यपाल ने शिवाजी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। शिवाजी का जन्मदिन 19 फरवरी को मनाया जाता है, लेकिन कल होने वाले मतदान को दृष्टिगत रखते हुए कार्यक्रम का आयोजन एक दिन पूर्व किया गया था। इस अवसर पर लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एसपी सिंह, भातखण्डे संगीत संस्थान सम विश्वविद्यालय की कुलपति श्रुति सरोडकर काटकर, लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. एसबी निमसे, मराठी समाज के सदस्य एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।