प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के तीर्थराज प्रयाग में पिछले चार महीनों में स्नान के दौरान गंगा नदी में डूबने वालों की बढ़ती संख्या सुरक्षा अधिकारियों के लिये चिंता का सबब बन चुकी है। पिछली तीन मार्च से अब तक विभिन्न थाना क्षेत्रों में हुये हादसाें में गंगा स्नान करने आए 26 लोगों की डूब कर मृत्यु हो चुकी है।
क्षेत्राधिकारी झूंसी चिराग जैन ने बताया कि गंगा में स्नान करने के दौरान डूबने वालों में 80 फीसदी किशोर की संख्या है। ये बच्चे अपने दोस्तों संग खेलते समय यह भूल जाते हैं कि गंगा में कहां कितना पानी है। अधिकांश किशोर अपने दोस्तों संग परिजन को बिना बताए गंगा में अठखेलियां करने आते हैं। उन्होंने सलाह दिया कि परिजनों को साथ में आए बच्चों पर नहाते समय लगातार निगरानी रखनी चाहिए। उन्हें अकेले नहाने के लिए कतई नहीं छोडना चाहिए। छोटी से असावधानी बड़ी दुर्घटना का कारण बन जाती है।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि गंगानगर के उतरांव थाना क्षेत्र के याकूबपुर गांव निवासी मूलचंद का 14 वर्षीय बेटा अभिजीत शुक्रवार को दादी के अंतिम संस्कार के लिए परिजन के साथ झूंसी थाना क्षेत्र के छतनाग घाट आया था। परिजन के साथ नहाते समय अभिजीत गहरे पानी में चला गया जहां वह डूब गया। शनिवार सुबह गोताखोरों ने उसके शव को खोज कर बाहर निकाला।
इसी प्रकार 14 जून को शिवकुटी थाना क्षेत्र में तीन बच्चे समेत आरएएफ जवान समेत चार लोग गंगा में डूब गए। चार जून को संगम पर स्नान के दौरान सात छात्र गंगा में समा गए। इसके अलावा चार जून को करछना में घाट पर दो चचेरे भाई गंगा में डूब गए। 30 मई को अरैल घाट पर स्नान के दौरान उज्जवल नामक किशोर डूब गया। 22 मई को सतना के रहने वाले गोविंद और आदित्य संगम नोज पर स्नान करने के दौरान डूब गए। 20 मई को फाफामऊ में गंगा में स्नान करते घाट पर 12वीं के छात्र कृष्णा और चाहत द्विवेदी गहरे पानी में डूब गये थे।
18 मई को शिवकुटी में एमएनएनआईटी के दो छात्र गंगा में डूबे। पांच मई को शिवकुटी में कृष्णा और प्रांशू नाम के दो किशोर गंगा में डूबे। पांच अप्रैल को पत्नी की अस्थि विसर्जन को आए मध्य प्रदेश के विवेक दुबे संगम में स्नान करते समय डूब गया। 18 मार्च को लखनऊ से आए विजय कुमार राठौर संगम में स्नान करते समय अचानक गहरे पानी में चले गए जिससे उनकी डूबने से मौत हो गयी।
तीन मार्च को इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बीए का छात्र राज सिंह संगम में दोस्तों के साथ नहाने गया था। नहाते समय अचानक वह गहरे में चला गया और डूब गया। गोताखोरों ने उनके शव को बाहर निकाला।
श्री जैन ने बताया कि गंगा में गहरे पानी को लेकर डीप वाटर बैरीकेडिंग भी लगाए गए हैं। इसके अलावा जल पुलिस के लोग स्नानार्थियों को बैरीकेडिंग के बाहर गहरे पानी में जाने से राेकते हैं बावजूद लोग उनकी बातों को नजरंदाज करते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को मौके पर आगाह कर रहे जल पुलिस के जवानों की बातों को प्राथमिकता देनी चाहिए। पुलिस या जल पुलिस लोगों की सुरक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहती है लेकिन किसी भी घटना को कारित होने से बचने के लिए खुद भी सचेत होना आवश्यक है।
क्षेत्राधिकारी ने बताया कि घाट पर 20 प्राइवेट गोताखोर हैं। ये सभी हमेशा स्नान घाटों पर चक्रमण करते रहते हैं। बेरीकेडिंग के पार जाने वालों को सावधान करने के साथ वापस लौटने की बात भी कहते हैं। कुछ लोग तो उनकी बातों को प्राथमिकता देकर वापस लाैट आते हैं कुछ स्नान की धुन में गहरे पानी में डूब जाते हैं।