प्रयागराज, तीर्थराज प्रयाग में माघ मेला के तीसरे सबसे बड़े स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर दोपहर 12 बजे तक एक करोड़ 40 लाख श्रद्धालु पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगा चुके थे।
संगम किनारे तड़के दूधिया रोशनी के बीच आधी रात के बाद चार से ही महिलाएं, पुरूष, युवा, बच्चे और दिव्यांगों ने हर हर गंगे, ऊं नम: शिवाय, तथा कुछ श्रद्धालु मौन रहकर पुण्य की डुबकी लगानी शुरू कर दी। शीत लहर का झाेंका भी श्रद्धालुओं की आस्था को डिगा नहीं पाया। जैसे़ जैसे दिन चढ़ता गया श्रधालुओं के कदम संगम की ओर बढ़ते रहे। बुधवार शाम से श्रद्धालु अपने परिचितों के शिविरों में पहुंचकर ठहरना शुरू कर दिया था।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सुबह से 12 बजे तक एक करोड़ 40 लाख श्रद्धालुओं ने पुण्य की डुबकी लगायी। इससे पहले 10 बजे तक एक करोड़ 15 लाख कल्पवासी, साधु-संत एवं दूर दराज से पहुंचे स्नानार्थियों ने स्नान कर चुके थे।
मेला अधिकारी दयानंद प्रसाद ने बताया कि संगम समेत कुल 12 घाट आठ हजार रनिंग फीट में बनाए गए हैं। स्नान घाटों पर महिलाओं के लिए बड़ी संख्या में चेंजिंग रूम बनाए गये हैं। संगम पर तीन दिशाओं में सनान घाट तैयार किए गये हें। एक तो संगम नोज पर बृहद घाट बनाया गया हैए दूसरा संगम नोज के ठीक सामने अरैल क्षेत्र में और तीसरा गंगा पार झूंसी तरफ घाट तैयार कराया गया है। स्नानए सकुशल आयोजन को मेला प्रशासन मुस्तैद है।
सनातन धर्म रक्षक समिति के सलाहकार आचार्य सरस्वती प्रसाद पाण्डे ने बताया कि मौनी अमावस्या पर अबकी ग्रह नक्षत्रों के मिलन से चतुरग्रहीय योग के अद्भुद संयोग बने हैं जिससे स्नान पर्व का महत्व बढ़ गया है। मकर राशि में चंद्रमाए सूर्यए मंगल और बुध ग्रह का संचारण होने से चतुर्ग्रहीय योग बना है। इससे संगम के पवित्र जल में स्नान करने वाले के धन और वैभव में वृद्धी होगी।
आचार्य पाण्डे ने बताया कि माघ माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन मौन रहते हुए पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन सृष्टि के संचालक मनु का जन्म हुआ था, इसलिए भी इसे मौनी अमावस्या कहा जाता है।
हालांकि प्रशासन सुबह चार बजे से स्नान शुरू होने की बात कह रहा है जबकि साधु-महात्मा और गृहस्थों ने त्रिवेणी तट पर आधी रात के बाद से ही पुण्य की डुबकी लगाना शुरू कर दिया।
न कोई आमंत्रण और न ही किसी तरह का निमंत्रण श्रद्धा से भरपूर श्रद्धालुओं की भीड़ सिर पर गठरी और कंधे पर कमरी रखे प्रयागराज की सड़कों पर पैदल, रेलवे स्टेशनों, सिविल लाइंस, लीडर रोड और जीरो रोड बस अड्डे से भीड़ मेला क्षेत्र की ओर लगतार बढ़ती चली आ रही है।
आस्था की डुबकी लगाने वाले श्रद्धालु सुरक्षा में लगे पुलिस और अन्य एजेंसियों के जवानों से संगम जाने के लिए रास्ता पूछते हुए सिर पर गठरी का बोझ रखे दीऩण्दुनिया से बेपहरवाह लक्ष्य पतित पावनी गंगाए श्यामल यमुना और अदृश्य सरस्वती में परिवार और सगे संबंधियों के लिए आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य प्राप्त करना है।
प्रयागराज जंक्शन, प्रयागराज रामबाग, सिटी स्टेशन, प्रयाग और प्रयाग घाट स्टेशनों से निकल रही भीड़ का रुख संगम ही है। नैनी और छिवकी एवं झूंसी स्टेशन हो या नैनी और झूंसी में बनाए गए अस्थायी बस अड्डों पर भी यही दृश्य बने हैं। शहर से लेकर मेला के प्रवेश मार्गों तक और फिर मेला क्षेत्र के अंदर तक सिर पर गठरी ही गठरी ही दिखाई दे रही है।
माघ मेला में आस्था और अध्यात्म के साथ आधुनिकता का भी संगम हो रहा है।श्रद्धालुओं का रेला त्रिवेणी में गोता लगाने के लिए पांच से सात किलोमीटर की दूरी पैदल कर संगम पहुंच रहा है। चारों ओर आस्था का रेला नजर आ रहा है।
परेड में काली सड़क हो या फिर लाल सड़क। शहर की सड़कों से लेकर मेला तक में मौनी अमावस्या पर आस्था का ऐसा जमघट लगने लगा है कि मौनी अमावस्या की दिव्यता चारों ओर निखरने लगी। गठरी लिए इन श्रद्धालुओं को न तो किसी व्यवस्था से मतलब होता है और न ही रोशनी से। अगाध आस्था में डूबे गठरी वाले श्रद्धालु पावन संगम पहुंच रहे हैं।
करीब 800 हैक्टेअर क्षेत्र में बसे मेले में आवागमन के लिए बनाये गये छह पांटून पुलों पर आने-जाने वालों की लंबी कतारें सुबह से ही देखने को मिल रही है। शिविरों से लेकर संगम की रेती तक हरतरफ श्रद्धालुओं का तांता नजर आ रहा है। शुक्रवार की आधी रात के बाद से मौनी अमावस्या पर देश-दुनिया के श्रद्धालु पुण्य की डुबकी लगा रहे हैं।
मेले में स्नान के लिए सभी घाटों पर जल पुलिस के जवानों के साथ राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल, एनडीआरएफ और पुलिस और प्राइवेट गोताखोर की रेस्क्यू टीम तैनात कर है, जिससे किसी भी तरह की स्थिति से समय रहते निबटा जा सके। पुलिसकर्मियों को मेला क्षेत्र में संदिग्ध एवं लावारिस पड़ी वस्तुओं पर नजर रखने के निर्देश दिए गये है1 भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लगातार सक्रियता बरतने का निर्देश दिए गये हैं। नाव में क्षमता से अधिक व्यक्ति नहीं बैठे इसके लिए नजर रखने की हिदायत दी गयी है।