अस्ताना/नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद के खतरे से निपटने और संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता को चोट पहुंचाए बिना कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए एससीओ सदस्यों के बीच समन्वित प्रयासों का आज मजबूती से समर्थन किया। मोदी ने कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन के वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान अपने संबोधन में उम्मीद जताई कि एससीओ परिवार में भारत के प्रवेश से आतंकवाद से निपटने की दिशा में इस समूह को नई गति मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आतंकवाद मानवता को एक बड़ा खतरा है।’ उन्होंने कहा कि आतंकवाद और कट्टरपंथ को परास्त करने के लिए समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने की आवश्यकता पर भी बात की और कहा कि यह व्यापार एवं निवेश बढ़ाने के लिए अहम है। उन्होंने कहा, ‘एससीओ देशों के साथ हमारा व्यापक सहयोग है।
हम कनेक्टिविटी पर और ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं।’ चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ समेत अन्य नेताओं की मौजूदगी में मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि इस प्रकार के सहयोग में संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता अहम कारक होने चाहिए। मोदी का यह बयान ऐसे समय में महत्व रखता है, जब कुछ ही सप्ताह पहले भारत ने बीजिंग में आयोजित हाई प्रोफाइल ‘बेल्ट एंड रोड फोरम’ का बहिष्कार कर दिया था।
इस सम्मेलन में विश्व के 29 नेताओं ने भाग लिया था। भारत ने 50 अरब डॉलर के चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को लेकर अपनी चिंताओं को रेखांकित करने के लिए शिखर सम्मेलन से दूरी बनाई। चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) का हिस्सा है। यह गलियारा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है। मोदी ने कहा कि एससीओ युद्ध पीड़ित अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने में मदद करेगा। प्रधानमंत्री ने एससीओ से जलवायु परिवर्तन से निपटने के भी प्रयास करने का आह्वान किया।