नयी दिल्ली , भारतीय जनता पार्टी के भूपेन्द्र यादव ने कहा कि 70 वर्षाें में पिछड़ा वर्ग को जो अधिकार नहीं मिले हैं, उसके लिए मोदी सरकार राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा देकर उसे पहली बार न्यायिक अधिकार भी देने जा रही है।
यादव ने राज्यसभा में 123वां संविधान संशोधन विधेयक और इससे जुड़े राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ;निरसन विधेयक 2017 पर चर्चा में भाग लेते हुये यह भी कहा कि अब यह आयोग सरकार को रिपोर्ट नहीं करेगा बल्कि वह सीधे राष्ट्रपति को रिपोर्ट करेगा और पिछड़े वर्ग में कौन सी जातियां शामिल की जायेगी यह जुड़े निर्णय भी अब सरकार के वजाय आयोग ही करेगा।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार समतामूलक समाज के निर्माण की दिशा में यह कदम उठाया है क्योंकि देश की सबसे बड़ी आबादी सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े लोगों को न्याय दिलाने के उद्देश्य से यह विधेयक लाया गया है। इस विधेयक पर बनी प्रवर समिति के अध्यक्ष के नाते 72 विशेषज्ञों के साथ इस पर उन्होंने चर्चा की।
उन्होंने कहा कि वर्ष 1950 में काका साहब कालेलकर आयोग बना था लेकिन पिछड़े वर्ग के हितों की रक्षा वाली उसकी सिफारिशें लागू नहीं की गयी। इसके बाद वर्ष 1980 में मंडल आयोग की रिपोर्ट आयी थी और वर्ष 1990 में इस आयोग की सिफारिशें लागू की गयी। उन्होंने कहा कि हांडिक आयोग की सिफारिशें भी लागू नहीं की गयी।
यादव ने कहा कि अन्य पिछड़े वर्ग में हर समुदाय के लाेग हैं। केन्द्र सरकार की सूची में 5500 से अधिक जातियां और राज्य सरकारों की सूची में 10500 से अधिक जातियां शामिल है लेकिन यह संविधान संशोधन सिर्फ केन्द्र की सूचियों को लेकर है तथा इससे राज्यों के अधिकार पर असर नहीं पड़ेगा।
कांग्रेस के बी के हरिप्रसाद ने कहा कि कांग्रेस पिछड़े वर्ग के आरक्षण के विरोधी नहीं है लेकिन इस विधेयक को जिस तरह से पेश किया जा रहा है उसका विरोध कर रही है। उन्होंने कहा कि अभी पिछड़े वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण है लेकिन इस कोटे के 17 प्रतिशत सीटें ही भर पा रही है। उन्होंने भाजपा से आरक्षण को लेकर अपना रूख स्पष्ट करने की मांग करते हुये कहा कि कांग्रेस में भी कुछ आरक्षण के विरोधी हो सकते हैं लेकिन कांग्रेस पार्टी इसके विरोध में नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे राज्य सरकार के अधिकारों का अतिक्रमण होगा और इससे पिछड़े वर्ग के साथ अन्याय होगा।