संसदीय लोकतंत्र में पूरे देश को साथ लेकर चलने की आवश्यकता- प्रणब मुखर्जी

pranab-mukherjee_650x400_मुंबई,  राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को कहा कि संसदीय लोकतंत्र में हमें पूरे देश को साथ लेकर चलने की आवश्यकता है और सत्ता में विराजमान लोगों को इसका ख्याल रखना चाहिए कि विचार-विमर्श और सर्वसम्मति ही शासन का श्रेष्ठ रास्ता होता है।

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा के शानदार जीत हासिल करने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दिए भाषण की सराहना करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि विचार विमर्श और सर्वसम्मति ही शासन का श्रेष्ठ रास्ता होता है।

मुखर्जी ने यहां इंडिया टुडे द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि संसदीय लोकतंत्र में प्रचंड बहुमत के खुमार से बचना चाहिए। जो सत्ता में है, उन्हें अवश्य ही समूचे राष्ट्र को शासन प्रक्रिया से जोड़ना चाहिए और साथ लेकर चलना चाहिए। चुनाव में शानदार जीत के बाद दिए मोदी के बधाई भाषण की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि मैं यह सुनकर बहुत खुश हूं कि प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर प्रदेश और अन्य राज्य विधानसभाओं के हालिया चुनाव में अपनी पार्टी को मिली जीत के बाद विनम्रता की बात कही।

उन्होंने कहा कि चुनावी फैसले हालांकि बहुमत के आधार पर तय किए जाते हैं लेकिन राज्यों का शासन सर्वमत के सिद्धांत पर होना चाहिये । यह भारत की परंपरा भी है और हमारे लोगों का बहुमत इसे कार्यरूप में देखने की आकांक्षा रखता है। कार्यक्रम में बांटे गए भाषण में राष्ट्रपति ने संसद में अक्सर पड़ने वाले व्यवधान के मुद्दे को भी उठाते हुए कहा कि मैं थोड़ी नाराजगी के साथ बोल रहा हूं क्योंकि मेरा पूरा सार्वजनिक जीवन संसद में मेरी भूमिका से परिभाषित हुआ है।

उन्होंने कहा कि इसलिए मेरे लिए भारतीय लोकतंत्र के इस मूलभूत स्तंभ को निष्प्रभावी बनते देखना मुश्किल है। मुखर्जी ने कहा कि उनके विचार से संसद की कार्यवाही में लगातार व्यवधान पड़ने, सदस्यों की कम उपस्थिति, संसद एवं राज्य विधानमंडलों में सत्र के दिनों का घटना तथा बजट एवं वित्तीय प्रस्तावों सहित अहम विधेयकों का गैर जिम्मेदाराना तरीके से पारित होने का कोई औचित्य नहीं है।

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