नई दिल्ली, नोटबंदी के मुद्दे पर वित्त संबंधी संसदीय स्थाई समिति की एक अहम बैठक बुधवार सुबह यहां शुरू हुई,जिसमें भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल इस मामले में अपनी बात रखी।कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली समिति मे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समिति के एक सदस्य हैं।
आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल नोटबंदी पर अपनी बात रखने के लिए पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी ऑन फाइनेंस के सामने पेश हुए। कमेटी ने उनसे कई सवाल किए। पटेल संसदीय समिति की बैठक में कुछ सवालों का कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए ।इसमें मनमोहन सिंह ने उनका बचाव किया।
संसद की वित्त मामलों संबंधी समिति के सदस्यों ने जब उनसे पूछा कि नोटबंदी के फैसले के बाद हालात कब तक सामान्य हो जाएंगे तो इसके जवाब में वह कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए और ना ही यह बता पाए कि स्थिति सामान्य होने में अभी कितना वक्त लगेगा। हालांकि उन्होंने इतना जरूर बताया कि 500 रुपये और 1000 रुपये के पुराने नोट बंद होने के बाद अब तक 9.2 लाख करोड़ रुपये की मुद्रा सिस्टम में डाल दी है जो बंद किए गए नोट्स की लगभग 60 प्रतिशत है। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली वित्त मामलों संबंधी संसद की स्थाई समिति की बैठक में पटेल के साथ-साथ आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर आर गांधी और एस एस मुंद्रा भी उपस्थित थे। सूत्रों के मुताबिक आरबीआइ गवर्नर से जब पूछा गया कि 500 रुपये और 1000 रुपये के बंद किए गए पुराने नोट में से कितने वापस आ चुके हैं, इसकी भी एक निश्चित संख्या वह नहीं दे पाए। बताया जाता है कि उन्होंने इस सवाल के जवाब में बस इतना कहा कि आरबीआइ अब भी इसकी गणना कर रहा है।
पटेल ने कहा कि नोटबंदी की प्रॉसेस जनवरी, 2016 में शुरू हो गई थी। हालांकि, उन्होंने पहले लिखित में कमेटी को बताया था कि सरकार ने 7 नवंबर को 500-1000 के बड़े नोटों को बंद करने की सलाह आरबीआई को दी थी। पैनल ने पूछा कि कितनी पुरानी रकम लौटकर आई? जवाब में पटेल ने 9.2 लाख करोड़ के नए नोट मार्केट में उतारे जाने की बात कही। शुक्रवार को आरबीआई गवर्नर संसद की लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) के सामने भी पेश हो सकते हैं। पीएसी ने 30 दिसंबर को उन्हें सवालों की लिस्ट भेजी थी।पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मीटिंग के दौरान पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर पटेल का बचाव किया।
आरबीआई के गवर्नर रहे मनमोहन ने पटेल को दी सलाह में कहा, ”आरबीआई एक इंस्टीट्यूशन है और इसका सम्मान किया जाना चाहिए। चूंकि यह एक ऑटोनॉमस बॉडी है। आप चाहें तो ऐसे सवालों के जवाब ना दें, जिनसे आरबीआई के लिए दिक्कत हो जाए।” मीटिंग में दिग्विजय सिंह ने सवाल किया, ”जब भीड़ कैश निकालने के लिए उमड़ रही थी, तब क्या बिदड्राअल लिमिट हटानी चाहिए थी?” इस पर मनमोहन ने बीच में कहा कि आपको इसका जवाब नहीं देना चाहिए।
नवंबर में मनमोहन ने संसद में मोदी सरकार पर हमला बोला था। उन्होंने नोटबंदी को देशवासियों के साथ सोची-समझी लूट करार दिया था। कहा था कि इससे देश की जीडीपी 2 फीसदी गिरेगी।वटीएमसी नेता और कमेटी मेंबर सौगत रॉय ने कहा, ”कमेटी ने कई सवाल किए। पूछा कि नोटबंदी का फैसला किसने लिया? आरबीआई गवर्नर यह बताने में नाकाम रहे कि बैंकों में कितना पैसा लौटकर आया। बैंकिंग सिस्टम के नॉर्मल होने के सवाल पर वे डिफेंसिव नजर आए।” पटेल के अलावा फाइनेंशियल सेक्रेटरी शक्तिकांत दास, बैंकिंग सेक्रेटरी अंजुल छिब दुग्गल और रेवेन्यू सेक्रेटरी हसमुख अधिया भी शामिल हुए।
मोदी सरकार ने 8 नवंबर को 500-1000 के पुराने नोट बंद करने का एलान किया था। जिससे देश की 86 फीसदी करंसी (15.44 लाख करोड़) चलन से बाहर हो गई थी। जिसके बाद देशभर में लोगों को कैश की किल्लत से जूझना पड़ा था।